रेजिना के दिन का आरम्भ, एक दुखद खबर से हुआ था, फिर सहकर्मियों के साथ मीटिंग्स थीं जिनमें उसके सभी आईडिया अस्वीकृत हो गए। लौटते समय उसने एक केयर सेंटर में किसी बुजुर्ग मित्र के पास फूल ले जाकर उसे सरप्राइज देने का निर्णय लिया। मरिया के यह बताने पर कि परमेश्वर उसके लिए कितने भले हैं, उसकी आत्मा तरोताज़ा हो गई। उसने कहा, “मेरा अपना बिस्तर और अपनी कुर्सी हैं, तीन समय का भोजन और नर्सों की मदद है। और कभी किसी अपने को परमेश्वर मेरे पास भेज देते हैं क्योकि वे जानते हैं कि मैं उन से प्यार करती हूँ और वह स्वयं मुझ से प्यार करते हैं।”
स्वभाव। दृष्टिकोण। कहावत है, “10 प्रतिशत जीवन उससे बना है जो हमारे साथ घटता है, और 90 प्रतिशत उसपर हमारी प्रतिक्रिया से।” याकूब ने उनके नाम पत्र लिख था जो सताव के कारण तित्तर बित्तर हो गए थे, और उनसे परख के समय अपने दृष्टिकोण पर गौर करने को कहा। उसने उन्हें इन शब्दों से चुनौती दी: “इसको पूरे आनन्द की बात समझो…”। (याकूब 1:2)
आनंद से भरे होने का यह दृष्टिकोण तब उत्पन्न होता जब हम यह देखना सीख लेते हैं कि परमेश्वर संघर्षों का उपयोग हमारे विश्वास में परिपक्वता लाने के लिए करते हैं।
निराशा की हमारी घड़ियों से परमेश्वर बढ़ती आशा की घड़ियों ला सकते हैं।