मेज पर रखी फ़ोम डिस्क में हम सब ने टूथपिक्स डाले दिए। इस प्रकार ईस्टर के प्रथम सप्ताह में हमने कांटो का ताज बनाया। हर टूथपिक किसी ऐसी बात का प्रतीक था जो हमने की थी और जिसके लिए हम शर्मिंदा थे। जिसके लिए यीशु ने दाम चुकाया है। हर रात यह अभ्यास हमें याद दिलाता था कि हम अपराधी हैं और हमें एक उद्धारकर्ता की आवश्यकता है जिसने क्रूस पर अपनी मृत्यु के माध्यम से हमें मुक्त कर दिया है।
कांटों का ताज जिसे यीशु को पहनाया गया था, वह उन्हें क्रूसित करने से पहले रोमी सैनिकों के क्रूर खेल का एक हिस्सा था। उन्हें शाही पौशाक पहनाकर राजदण्ड के रूप में सरकण्डा दिया गया जिससे वे उसे मारने के लगे। उसे “यहूदियों के राजा” कहकर ठट्ठा उड़ाया (मत्ती 27:29)। इस बात से अनभिज्ञ कि इसे हजारों वर्ष बाद भी याद किया जाएगा। वह कोई साधारण राजा नहीं परन्तु राजाओं के राजा थे जिनकी मृत्यु और पुनरुत्थान ने हमें अनंत जीवन दिया है।
ईस्टर की सुबह, हमने टूथपिक्स को फूलों से’ बदलकर क्षमा और नए जीवन के उपहार का पर्व मनाया। इस विश्वास से हमने अद्भुत आनन्द का अनुभव किया `कि परमेश्वर ने हमारे पापों को मिटा दिया है और हमें मुक्ति तथा उनमें अनन्त जीवन दे दिया है!
कांटों का ताज जीवन का ताज बन गया है।