Month: अप्रैल 2018

जंजीरों को तोड़ना

स्टोन टाउन, ज़ांज़ीबार में क्राइस्ट चर्च कैथेड्रल की यात्रा ने हमारे दिल को छू लिया, क्योंकि यह ऐसे स्थान पर स्थित है जहाँ पूर्व अफ्रीका का सबसे बड़ा गुलाम बाजार था। कैथेड्रल में वास्तविक प्रतीकों के माध्यम से सुसमाचार द्वारा दासता की जंजीरों का तोड़ा जाना प्रदर्शित किया गया है। अब यह बुरे कामों और भयानक अत्याचारों का नहीं, वरन परमेश्वर के प्रस्तुत अनुग्रह का स्थान होगा।

कैथेड्रल निर्माता दिखाना चाहते थे कि किस प्रकार क्रूस पर यीशु की मृत्यु पाप से छुटकारा प्रदान करती है-जिसे प्रेरित पौलुस ने इफिसुस की कलीसिया को अपनी पत्री में व्यक्त किया था:"हम को उस में...."(इफिसियों 1:7)। यहां छुटकारा शब्द, पुराने नियम के बाज़ार के भाव को इंगित करता है, किसी व्यक्ति या वस्तु को वापस खरीद लेने द्वारा। यीशु मनुष्य को पाप की दासता और बुरे काम करने के जीवन से वापस खरीद लेते हैं।

मसीह में अपने छुटकारे के विचार से वह खुशी से फूले नहीं समाते(पद 3-14)। परत-दर-परत गुणगान करते हुए वह, यीशु की मृत्यु द्वारा हमारे लिए किए गए परमेश्वर के अनुग्रह के उस कार्य का बखान करते हैं, जो हमें पापों के बंधन से छुड़ा लेता है। अब हमें पाप के दास होने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हम परमेश्वर और उसकी महिमा के लिए जीवित रहने के लिए स्वतंत्र हैं।

यीशु पर ध्यान करो!

ब्रदर जस्टिस एक विश्वासयोग्य व्यक्ति थे। अपने विवाह में निष्ठावान, एक समर्पित डाक कर्मचारी, तथा हर रविवार कलीसिया में अगुवे की भूमिका में सदैव उपस्थित रहते थे। जब मैं अपने बचपन की कलीसिया में गया, पियानो पर वही धुन बज रही थी जिसे ब्रदर जस्टिस बाइबिल अध्ययन के समय की समाप्ति पर बजाते थे। इस धुन ने समय की कसौटी का सामना किया है। ब्रदर जस्टिस के प्रभु के पास जाने के बाद, उनकी विश्वासयोग्यता की विरासत आज भी कायम है।

इब्रानियों 3 पाठकों को एक वफादार सेवक और विश्वासयोग्य पुत्र का ध्यान दिलाता है। हालाँकि, परमेश्वर के "दास" के रूप में मूसा की सच्चाई निर्विवाद है, परन्तु विश्वासियों को यीशु पर ध्यान केंद्रित करना सिखाया जाता है। “सो हे पवित्र भाइयों...”(पद 1)। परीक्षा में पढने वालों को ऐसा प्रोत्साहन मिला है (2:18)। उनकी विरासत केवल यीशु का अनुसरण करने से आती है, जो विश्वासयोग्य हैं।

परीक्षा की हवाएं आप सभी के आसपास घूम रही हैं। जब आप थके, जीर्ण, हार मानने को तैयार हों?  एक व्याख्या में पाठ हमें यीशु पर ध्यान करने के लिए आमंत्रित करता है (3:1 मैसेज)। उस पर ध्यान करो, दोबारा, बार-बार। यीशु पर ध्यान करके हम परमेश्वर के एक विश्वासयोग्य पुत्र को देखते हैं जो हमें उनके परिवार में रहने का साहस देते हैं।

कार्य पर प्रशिक्षण

अपने बेटे के अध्यापक से विज्ञान शिविर में सहयोगी बनने के आग्रह से मैंने संकोच किया। अपने बेटे को प्रेम करने और उसकी परवरिश में परमेश्वर ने मेरी सहायता की है परंतु दूसरों के लिए वह मेरा इस्तेमाल करेंगे इसका मुझे संदेह था।

आज भी मैं नहीं समझ पाती कि परमेश्वर-एकमात्र परिपूर्ण, सिर्फ एक जो हृदयों और जीवनों को बदल सकते हैं-समय के साथ हमें भी बदल देते हैं। तब पवित्र-आत्मा याद दिलाती है कि पौलुस ने कैसे तीमुथियुस को विश्वास से उसको मिले वरदान को चमकाने के लिए कार्य-पर-प्रशिक्षण आरंभ करने को कहा (2तीमुथियुस 1:6)। जैसे तीमुथियुस लोगों की सेवा करेगा, उसे साहस मिलेगा क्योंकि उसके सामर्थ के स्रोत परमेश्वर उसकी प्रेम करने और अनुशासित रहने में उसकी मदद करेंगे (पद 7)।

मसीह हमें बचाते और सामर्थी बनाते हैं ताकि mहम अपने जीवन से उन्हें आदर दें, हमारी योग्यता के कारण नहीं वरन इसी कि हम उनके परिवार के बहुमूल्य सदस्य हैं (पद 9)।

हमारा काम है परमेश्वर तथा दूसरों से प्रेम करें। मसीह का काम है हमें बचाएं और संसार के प्रति हमारी संकरी दृष्टि से बढ़कर उद्देश्य दें। प्रतिदिन जैसे हम उनके पीछे जहाँ वे ले जाएँ वहाँ चलते हैं, तो वह उनके प्यार और सच्चाई से दूसरों को उत्साहित करने में हमारा इस्तेमाल करते हुए हमें बदल देते हैं।

बुद्धि की बुलाहट

ब्रिटेन के प्रसिद्ध पत्रकार और सामाजिक आलोचक, मैल्कम मग्रिज, साठ वर्ष की आयु में मसीही बनेंI अपने पचत्तरवें जन्मदिन पर उन्होंने जीवन के बारे में पच्चीस व्यावहारिक टिप्पणियां कीं। एक में उन्होंने कहा, "मैं कभी ऐसे व्यक्ति से नहीं मिला हूँ जो धनी और खुश था, परंतु कभी-कभी ही ऐसे गरीब व्यक्ति से मिला हूं जो धनी नहीं बनना चाहता था।"

हम में से अधिकांश सहमत होंगे कि धन हमें ख़ुशी नहीं दे सकता, फिर भी हम अधिक धनी बनना चाहते हैं ताकि हम निश्चिन्त हो सकें।

राजा सुलैमान की संपत्ति का अनुमान दो ट्रिलियन अमेरिकी डालर से अधिक का लगाया गया है। हालांकि, वह बहुत धनी थे, पर जानते थे कि धन की बड़ी सीमाएं होती हैं। नीतिवचन 8 उनके अपने अनुभव पर आधारित है, और सभी लोगों को "बुद्धि की बुलाहट" प्रदान करता है, "मैं तुम को पुकारती...”(पद 4- 7)। “चान्दी नहीं, मेरी शिक्षा ...”(पद 10-11)।

बुद्धि कहती है मेरा फल चोखे सोने से, वरन कुन्दन से भी उत्तम है, और मेरी उपज उत्तम चान्दी से अच्छी है। मैं धर्म की बाट में, और न्याय की डगरों के बीच में चलती हूं, जिस से मैं अपने प्रेमियों को परमार्थ के भागी करूं, और उनके भण्डारों को भर दूं (पद 19- 20)। वास्तव में यही सच्चा धन हैं!

विधवा का विश्वास

आह-पाई सुबह तड़के उठ जाती है। बाकि लोग भी जल्दी उठकर रबड़ के बागानों में जाएँगे। रबड़ की फ़सल चीन के हांगझुआंग गांव-वासियों की आय का मुख्य स्रोत है। अधिक रबर इकट्ठा करने लिए सुबह से पेड़ों से क्षीर निकाला जाता है। आह-पाई भी उनमें शामिल होगी,  परंतु पहले वह परमेश्वर के साथ समय बिताएगी।

आह-पाई के पिता, पति, और पुत्र का निधन हो चुका है। वह अपनी बुजुर्ग मां और दो पोतों को पालने के लिए मेहनत करती है। उसकी कहानी मुझे बाइबिल में एक विधवा की याद दिलाती है। जिसका पति कर्जा छोड़ कर मर गया (2राजा 4:1)। संकट में मदद पाने के लिए वह परमेश्वर के दास एलीशा के पास गई। उसे विश्वास था कि उसकी स्थिति में परमेश्वर ही कुछ कर सकते हैं। परमेश्वर ने किया। आश्चर्यकर्मों से उन्होंने विधवा की जरूरतों को पूरा किया (पद 5- 6)। परमेश्वर आह-पाई की जरूरतों को भी पूरा करते हैं-भले ही कम आश्चर्यकर्मों से-वह ऐसा उसकी मेहनत, भूमि की उपज और लोगों के उपहारों के माध्यम से करते हैं।

जीवन हमसे चाहे कई मांगे करे, हम सामर्थ सदा परमेश्वर से पा सकते हैं। अपनी चिंताओं को उन्हें सौंप कर हम जो संभव हो वह करें। और उन्हें वह करने का अवसर दें जो हमें अंततः आश्चर्यचकित कर देगा।

भूलने की बीमारी

कैरल्सबाड, कैलिफोर्निया में आपातकालीन सेवा ने ऑस्ट्रेलियाई लहज़े में बोलने वाली एक महिला को बचाया जिसे याद नहीं था कि वह कौन थी। 

उसे भूलने की बीमारी थी और उसका कोई पहचान पत्र नहीं था। डॉक्टरों और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की मदद से उसकी हालत सुधरी, उसकी कहानी प्रसारित हुई और अंततः वह अपने परिवार से पुनः मिल पाई।

बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर भी यह भूल गया था कि वह कौन था और कहां से आया था। हालांकि उसकी भूलने की बीमारी आध्यात्मिक थी। जो राज्य उसे मिला था उसका श्रेय स्वयं लेकर वह यह बात भूल गया था कि परमेश्वर राजाओं के राजा हैं और उसके पास जो कुछ भी था वह उन्हीं का दिया हुआ था( दानिय्येल 4:17, 28-30)।

परमेश्वर ने राजा के दिमाग की दशा को नाटकीय बना दिया जिससे वह खेतों में जंगली जानवरों के साथ रहने और गाय की तरह घास चरने लगाI आखिरकार 7वर्षों बाद उसने आंखें स्वर्ग की ओर उठाईं, और उसकी बुद्धि ज्यों की त्यों हो गईI तब उसने कहा, “अब मैं नेबूदुकनेस्सर...” (37) I 

हमारे बारे में क्या?  हमारी दृष्टि में हम कौन हैं? हम कहां से आए?  क्योंकि हम भूल जाने की प्रवृति रखते हैं इसलिए याद करने के लिए राजाओं के राजा के अलावा हम किसकी ओर देख सकते हैं?

प्रतीक्षा का स्थान

"प्रतीक्षा चाहे मछली के जाल में फंसने की, पतंगबाजी में हवा के रुख की या शुक्रवार शाम की हो....हर कोई प्रतीक्षा कर रहा है"-बाल-पुस्तक लेखक डॉक्टर सिउस।

जीवन का बड़ा भाग प्रतीक्षा के बारे में है,परंतु परमेश्वर उतावले नहीं होते। कहावत है, “परमेश्वर का अपना अवसर और अपना विलम्ब होता है”। इसलिए हम प्रतीक्षा करें।

प्रतीक्षा कठिन बात है। हम अंगूठा मोड़ते, पैर बदलते, उबासी को दबाते, लंबी आहें भरते, और हताश होकर चिंतित होते हैं। इतने अजीब व्यक्ति के साथ क्यों रहूं, इतना कठिन कार्य, इतना उलझन भरा व्यवहार, इतनी लाइलाज बीमारी!  परमेश्वर कुछ करते क्यों नही?  परमेश्वर का उत्तर:"थोड़ा ठहर और देख मैं क्या करूंगा"।

प्रतीक्षा जीवन की शिक्षिका है, इसमें हम...प्रतीक्षा के गुण को सीखते हैं-जब परमेश्वर हममें और हमारे लिए कार्य करते हैं तो प्रतीक्षा करें। प्रतीक्षा हमारे धीरज और परमेश्वर की भलाई और करुणा पर भरोसा करने की क्षमता को बढ़ाते हैं, भले ही बातें हमारे अनुरूप ना हों (भजन संहिता 70: 5)।

परंतु प्रतीक्षा का अर्थ उदासीन होना या दांत पीसना नहीं। प्रतीक्षा करते हुए हम “हर्षित और [उनमें] अनन्दित हो सकते हैं (पद 4)। हम इस आशा में प्रतीक्षा करते हैं कि परमेश्वर हमें उचित समय में छुड़ा लेंगे-इस जीवन में या अगले मेंI परमेश्वर उतावली नही करते वरन वो सदा समय पर होते हैं।

शांति का रहस्य

ग्रेस एक विशिष्ट महिला है। उसके बारे में सोचकर एक ही शब्द मन में आता है:शांति। जबसे मै उसे जानती हूँ, उसके मुख का शांत और स्थिर भाव शायद ही कभी बदला हो, तब भी नहीं जब दुर्लभ रोग के कारण उसके पति को अस्पताल में भर्ती कराया गया।

मैंने ग्रेस से उसकी शांति का रहस्य पूछा, तो उसने कहा, "यह कोई रहस्य नहीं है, यह एक व्यक्ति है। यह यीशु है जो मुझमें है। इस तूफान में भी जिस शांति का मैं अनुभव करती हूं उसे बताने का कोई और तरीका नही है"।

शांति का रहस्य यीशु मसीह के साथ संबंध में निहित है। वे हमारी शांति हैं। जब यीशु हमारे उद्धारकर्ता और परमेश्वर होते हैं,  और हम और अधिक उनके समान बनते हैं तो शांति एक वास्तविकता बन जाती है। बीमारी, आर्थिक कठिनाइयों या विपत्ति में भी शांति आश्वासन देती है कि हमारे प्राण परमेश्वर के हाथों में हैं (दानिय्येल 5:23) और हम भरोसा कर सकते हैं, कि अंत में सब बातें भलाई को उत्पन्न करेंगी।

क्या हमने उस शांति को अनुभव किया है जो तर्क और समझ से परे है? क्या हमें  निश्चय है कि परमेश्वर नियंत्रण में हैं?  पौलुस के शब्दों को आज मैं सबके लिए दोहराना चाहती हूं:”अब प्रभु जो शान्ति का...”(2 थिस्सलुनीकियों 3:16)।

छोटी-छोटी बातों में परमेश्वर की उपस्थिति

अपने 3 मास के "चॉकलेट" रंग के लैब्राडोर कुत्ते को जब मैं टीकाकरण और जांच के लिए पशु चिकित्सक के पास लाया तो डाक्टर ने जाँच पर देखा कि उसके बाएं पंजे पर फर के पीछे एक सफेद निशान था। वह मुस्कराकर कहने लगी, "परमेश्वर ने यहाँ से तुम्हें उठा कर चॉकलेट में डुबो दिया होगा।"

मैं हंस पड़ा। अनजाने में उसने परमेश्वर के उनकी सृष्टि में गहरे और व्यक्तिगत रूप से ध्यान देने की सार्थक बात कह दी थी।

मत्ती 10:30 में यीशु ने कहा, “हमारे सिर के बाल भी गिने हुए हैं”। परमेश्वर इतने महान हैं कि वह हमारे जीवन की छोटी-छोटी बातों में भी रुचि रखते हैं। कोई भी बात इतनी छोटी नहीं जिसपर वे ध्यान न दें या जिसे उनके सम्मुख ना लाया जा सके। वह हमारा इतना ध्यान रखते हैं।

परमेश्वर ने ना केवल हमारी रचना की, वरन वे हमें थामते और हमारी रक्षा करते हैं।  कुछ लोग कहते हैं कि “शैतान छोटी-छोटी बातों में है”। "परंतु यह समझना बेहतर होगा कि उनमें परमेश्वर होते हैं। वे उन चीजों पर भी ध्यान रखते हैं जिन पर हम ध्यान नहीं दे पाते। कितने दिलासे की बात है कि हमारे दयालु और स्वर्गीय पिता-अपनी समस्त सृष्टि के साथ-अपने सामर्थी और प्रेमी हाथों से हमें थामें रहते हैं।