अपने बेटे के अध्यापक से विज्ञान शिविर में सहयोगी बनने के आग्रह से मैंने संकोच किया। अपने बेटे को प्रेम करने और उसकी परवरिश में परमेश्वर ने मेरी सहायता की है परंतु दूसरों के लिए वह मेरा इस्तेमाल करेंगे इसका मुझे संदेह था।

आज भी मैं नहीं समझ पाती कि परमेश्वर-एकमात्र परिपूर्ण, सिर्फ एक जो हृदयों और जीवनों को बदल सकते हैं-समय के साथ हमें भी बदल देते हैं। तब पवित्र-आत्मा याद दिलाती है कि पौलुस ने कैसे तीमुथियुस को विश्वास से उसको मिले वरदान को चमकाने के लिए कार्य-पर-प्रशिक्षण आरंभ करने को कहा (2तीमुथियुस 1:6)। जैसे तीमुथियुस लोगों की सेवा करेगा, उसे साहस मिलेगा क्योंकि उसके सामर्थ के स्रोत परमेश्वर उसकी प्रेम करने और अनुशासित रहने में उसकी मदद करेंगे (पद 7)।

मसीह हमें बचाते और सामर्थी बनाते हैं ताकि mहम अपने जीवन से उन्हें आदर दें, हमारी योग्यता के कारण नहीं वरन इसी कि हम उनके परिवार के बहुमूल्य सदस्य हैं (पद 9)।

हमारा काम है परमेश्वर तथा दूसरों से प्रेम करें। मसीह का काम है हमें बचाएं और संसार के प्रति हमारी संकरी दृष्टि से बढ़कर उद्देश्य दें। प्रतिदिन जैसे हम उनके पीछे जहाँ वे ले जाएँ वहाँ चलते हैं, तो वह उनके प्यार और सच्चाई से दूसरों को उत्साहित करने में हमारा इस्तेमाल करते हुए हमें बदल देते हैं।