Month: मई 2018

बाधित संगति

तेज़, दुखी पुकार ने उस अँधेरे दोपहर के वातावरण को बेध दिया l मैं यीशु के पांवों के निकट उसके मित्रों और प्रियों के घोर विलाप की कल्पना कर सकता हूँ l यीशु के दोनों ओर क्रूसित अपराधियों की आहें भी फीकी महसूस हो रही थीं l और सब सुननेवाले भी चकित थे l  

यीश गुलगुथा के उस क्रूस पर लटके हुए अत्यंत वेदना में पूरी निराशा से पुकार उठा,  “एली, एली, लमा शबक्तनी?”  (मत्ती 27:45-46) l

उसने कहा, “हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?”

मैं हृदय को कष्ट देनेवाले इन शब्दों से अधिक की कल्पना भी नहीं कर सकता हूँ l अनंतकाल से, यीशु परमेश्वर पिता के साथ पूर्ण संगति में था l दोनों ने मिलकर सृष्टि की रचना की, अपनी समानता और स्वरुप में मनुष्य को रचा, और उद्धार की योजना बनायी l कभी भी दोनों एक दूसरी की संगति से अलग नहीं हुए l

और अब, जब क्रूस की अत्यंत मनोव्यथा यीशु पर तिरस्कारपूर्ण पीड़ा लेकर आई, उसने संसार के पाप का बोझ उठाते हुए पहली बार परमेश्वर की उपस्थिति से अपने को दूर पाया l

यह एक ही मार्ग था l केवल इस बाधित संगति के द्वारा ही हमें उद्धार मिल सकता था l यीशु के क्रूस पर त्यागे जाने का अनुभव करने के कारण ही हम मनुष्य जाति परमेश्वर के साथ संगति रख सकते हैं l

यीशु, आपको धन्यवाद l हमें क्षमा देने के लिए आपने अत्यंत पीड़ा सही l  

जब शब्द विफल हो जाए

कुछ समय पहले, मैंने अपने पत्नी, कैरी को वोइस मेसेज की सहायता से लिखित मेसेज भेजा l मैं घर से निकल रहा था और उसे ड्यूटी से घर लाने की मनसा से उसे मेसेज भेजा, “बूढ़ी लड़की, तुम कहाँ चाहती हो कि मैं तुम को घर लाने के लिए तुम से मिलूं?

मेरा उसे “बूढ़ी लड़की” पुकारना उसे बुरा नहीं लगता है – हम घर में यही नाम उपयोग करते हैं l किन्तु मेरा मोबाइल फोन इस वाक्यांश को नहीं “समझ सका” और उसके बदले “बूढ़ी गाय” लिखकर भेज दिया l

सौभाग्य से, कैरी तुरन्त समझ गयी कि कहाँ गलती हुई थी और उसे हास्यास्पद महसूस हुआ l बाद में उसने सोशल मीडिया पर यह सन्देश पोस्ट करके पूछा, “क्या मुझे बुरा मानना चाहिए था?” हम दोनों उसके विषय खूब हँसे l

मेरे अनुपयुक्त शब्दों के प्रति मेरी पत्नी का प्रेमी प्रतिउत्तर मुझे सोचने को विवश करता है कि परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं को अपने प्रेम से कैसे समझता है l प्रार्थना में क्या बोलना या माँगना है हम शायद नहीं जानते हैं, किन्तु जब हम मसीह के होते है, उसका आत्मा “आप ही ऐसी आहें भर भरकर, जो ब्यान से बाहर हैं, हमारे लिए विनती करता है”(रोमियों 8:26) और हमें अपनी गहरी आवश्यकताओं को प्रेम से उसके समक्ष रखने में मदद करता है l

हमारा स्वर्गिक पिता हमसे दूर रहकर इंतज़ार नहीं करता कि हम अपने शब्दों को ठीक करें l हम उसके निकट हर एक ज़रूरत लेकर आ सकते हैं, और निश्चित हो सकते हैं कि वह हमें समझता है और अपने प्रेम से हमें स्वीकार करता है l

क्षितिज को निहारना

स्टीमर के चलते ही, मेरी बेटी की तबियत खराब होने लगी l वह पानी के जहाज में यात्रा के समय होने वाली पीड़ा(मतली) से प्रभावित होने लगी थी l मेरी तबियत भी खराब होने लगी थी l मैंने स्वयं को याद दिलाया, “क्षितिज की ओर टकटकी लगाए रहो l” नाविकों के अनुसार यह दृष्टिकोण की अनुभूति पुनः प्राप्त करने में सयायता करता है l

क्षितिज का रचयिता(अय्यूब 26:10) जानता है कि हम जीवन में कभी कभी भयभीत और बेचैन हो सकते हैं l हम दुरस्थ किन्तु अपने गंतव्य के स्थिर बिंदु की ओर टकटकी लगाकर पुनः दृष्टिकोण प्राप्त कर सकते हैं l

इब्रानियों का लेखक यह बात समझ चुका था l उसे अपने पाठकों में निराशा दिखाई दी l सताव ने अनेक को उनके घर से बेघर कर दिया था l इसलिए उसने उनको याद दिलाया कि दूसरे विश्वासी अत्यधिक पीड़ा सहते हुए बेघर हो गए थे l उन्होंने सब कुछ सह लिए क्योंकि वे कुछ बेहतर की आशा कर रहे थे l

निर्वासितों की तरह, ये पाठक भी उस नगर को, जिसका रचयिता परमेश्वर है, स्वर्गीय देश को, परमेश्वर जो नगर उनके लिए बनाया था, उसको  निहार सकते थे (इब्रानियों 11:10,14,16) l इस प्रकार अपने अंतिम संबोधन में, लेखक अपने पाठकों से परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं की ओर देखने को कहता है l “क्योंकि यहाँ हमारा कोई स्थायी नगर नहीं, वरन् हम एक आनेवाले नगर की खोज में हैं” (13:14) l

हमारे वर्तमान की समस्याएँ अस्थायी हैं l हम “पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं”(11:13), किन्तु परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं की क्षितिज को ताकने से हमें मापदण्ड मिल जाता है l

अंतिम बुलाहट

हेलिकोप्टर पायलट के रूप में दो दशक तक अपने देश की सेवा करने के बाद, जेम्स अपने समुदाय में शिक्षक की सेवा करने हेतु अपने घर लौट आया l इसलिए कि उसे अभी भी हेलीकॉप्टरों की याद आती थी,  उसने एक स्थानीय हॉस्पिटल के साथ लोगों को खतरनाक स्थान से हटाकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाने की सेवा करने लगा l वह काफी उम्र तक यह काम करता रहा l

अब उसे अलविदा कहने का समय आ चुका था l जब मित्रगण, परिजन, और वर्दी पहने सहकर्मी कब्रस्थान में सजग खड़े थे l एक सहकर्मी ने रेडियो पर अंतिम बार पुकारा l शीघ्र ही हवा में हेलीकॉप्टर बड़ी आवाज़ के साथ उस मेमोरियल बगीचे के ऊपर उड़ता हुआ  श्रद्धांजलि देते हुए हॉस्पिटल लौट गया l उपस्थित सेना के अधिकारी भी रो पड़े l

जब राजा शाऊल और उसका पुत्र योनातान युद्ध में मारे गए, दाऊद ने भी युगों के लिए “धनुष-गीत” नामक विलापगीत लिखा (2 शमूएल 1:17) l “हे इस्राएल, तेरा शिरोमणि तेरे ऊँचे स्थान पर मारा गया,” उसने गाया l “हाय, शूरवीर कैसे गिर पड़े हैं!” (पद.19) l योनातान दाऊद का घनिष्ठ मित्र और एक ही सेना के लिए लड़नेवाले योद्धा थे l और यद्यपि दाऊद और शाऊल शत्रु थे, दाऊद दोनों को सम्मान देता था l “उसने लिखा, “शाऊल के लिए रोओ . . . हे मेरे भाई योनातान, मैं तेरे कारण दुखित हूँ” (पद.24,26) l

सबसे अच्छे विदाई के क्षण भी बहुत कठिन होते हैं l किन्तु प्रभु पर भरोसा करनवालों के लिए, स्मरण कड़वा नहीं बल्कि बहुत मधुर होता है, क्योंकि वह हमेशा के लिए कभी नहीं होता l जिन्होंने दूसरों की सेवा की है उनका स्मरण कितना अच्छा है!

परमेश्वर के समान

मेरे पति के एक माह के लम्बे दौरे पर चले जाने के तुरन्त बाद मैं अपनी नौकरी, अपना घर, और अपने बच्चों की ज़रूरतों के कारण परेशान हो गयी l लिखने के एक काम की निर्धारित तिथि आ चुकी थी l घास काटने की मशीन ख़राब हो गयी थी l मेरे बच्चों के स्कूल की छुट्टी थी और वे ऊब रहे थे l मैं अकेले इतने सारे काम कैसे कर पाऊँगी?

शीघ्र ही मैंने महसूस किया कि मैं अकेले नहीं हूँ l चर्च से मित्रगण सहायता करने पहुँच गए l जोश घास काटने की मशीन को ठीक करने आ गया l जॉन दिन का भोजन लेकर आया l कैसिडी कपड़े धोने में मेरी मदद कर दी l एबी ने मेरे बच्चों को अपने बच्चों के संग खेलने के लिए बुला ले गयी ताकि मैं काम पूरा कर सकूँ l परमेश्वर ने इन मित्रों द्वारा मेरा प्रबंध कर दिया l ये लोग पौलुस द्वारा रोमियों 12 में वर्णित समुदाय के जीवित रूप थे l उनका प्रेम निष्कपट था (पद.9) l वे अपनी ज़रूरतों से अधिक दूसरों की ज़रूरतों का ध्यान रखते थे(पद.10) l उन्होंने मेरी ज़रूरतों में मेरी मदद करके आतिथ्य किया (पद.13) l

उस प्रेम के कारण जो मेरे मित्रों ने मुझसे किया, मैं “आशा में आनंदित” और “क्लेश में स्थिर”(पद.12) रह सकी, चाहे मुझे थोड़ी परेशानी सहकर एक महीने तक अकेले ही बच्चों की देखभाल करनी पड़ी l मसीह में मेरे भाई और बहन मेरे लिए “परमेश्वर के समान” बन गए l उन्होंने मुझसे निष्कपट प्रेम किया जो हमें सभी से करना चाहिए, विशेषकर विश्वासियों के साथ (गलातियों 6:10) l मैं उनकी तरह बनना चाहती हूँ l 

कोई भी मुझे पसंद नहीं करता

मैं बचपन में जब भी बहुत ही अकेला, त्यागा हुआ, या खुद के विषय खेद महसूस करता था, मेरी माँ मुझे खुश करने के लिए एक लोकप्रिय गीत गाती थी : “कोई मुझे पसंद नहीं करता, सब मुझे से घृणा करते हैं l मेरे विचार में मैं जाकर कीड़ा खाऊंगा l” मेरे उतरे हुए चेहरे पर मुस्कराहट देखकर, वह मुझमें धन्यवाद देने के विशेष सम्बन्ध और कारण खोजने में मेरी मदद करती थी l

जब मैं पढ़ता हूँ कि दाऊद ने महसूस किया कि कोई भी उसकी परवाह नहीं करता, उसका गीत मेरे कानों में गूंजता है l फिर भी दाऊद की पीड़ा का बयान बढ़ा चढ़ा कर नहीं किया गया है l जहां मेरी आयु के अनुसार मैंने अकेलापन महसूस किया, दाऊद के पास त्यागा हुआ महसूस करने का उचित कारण था l उसने ये शब्द एक गुफा के अँधेरे में लिखा जहां वह शाऊल के भय से छिपा हुआ था जो उसकी हत्या करने की योजना बनाकर उसका पीछा कर रहा था(1 शमूएल 22:1; 24:3-10) l दाऊद जिसका अभिषेक भावी राजा के रूप में हुआ था, वर्षों तक शाऊल की सेवा की थी (16:13), किन्तु अब अपना जीवन बचाने के लिए “इधर-उधर भटक” रहा था l अपने अकेलेपन में दाऊद ने आभास किया और परमेश्वर को “शरणस्थान” और “मेरे जीते जी तू मेरा भाग है” माना (भजन 142:5 l

दाऊद की तरह, हम भी अपने अकेलेपन में परमेश्वर को पुकार सकते हैं, और उसके प्रेम की सुरक्षा में अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं l परमेश्वर कभी भी हमारे अकेलेपन को कम नहीं आंकता है l वह जीवन के अँधेरे गुफाओं में हमारा साथी बनना चाहता है l उस समय भी परमेश्वर हमारी चिंता करता है, जब हम सोचते हैं कि कोई हमारी चिंता नहीं करता है!

अनावश्यक बुद्धि

कुछ साल पहले, एक महिला ने मुझे अपने 13 वर्ष से कम के बेटे के विषय बताया जो एक हिंसात्मक घटना सम्बंधित समाचार देख रहा था l स्वाभाविक बुद्धि से, उसने उससे रिमोट छीनकर चैनल बदल दिया l “तुम्हें इस तरह की बातें नहीं देखनी चाहिए,” वह उससे रूखेपन से बोली l इसके बाद वाद-विवाद शुरू हो गया, और अंततः वह बोली कि उसे अपने बेटे के दिमाग़ में “जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं . . . ” डालनी होगी(फिलिप्पियों 4:8) l रात के भोजन के बाद, वह अपने पति के साथ समाचार देख रही थी जब अचानक उनकी पांच वर्षीय बेटी अन्दर आकर टेलीविजन बंद कर दी l “तुम्हें ये बातें नहीं देखनी चाहिए,” वह बेहतरीन तरीके से अपनी “माँ” की आवाज़ में बोली l “अब, बाइबल की बातों पर विचार कीजिए !”

व्यस्क के रूप में, हम अपने बच्चों से बेहतर तरीके से समाचार को समझ और जान सकते हैं l फिर भी, उनकी बेटी दिलचस्प और बुद्धिमान थी जब उसने माँ की बातें दोहरायी l परिपक्व व्यस्क भी जीवन के नकारात्मक पक्ष के प्रभाव से धीरे-धीरे प्रभावित हो सकता है l फिलिप्पियों 4:8 में वर्णित पौलुस की सूची पर चिंतन करना उस अंधेरेपन का इलाज है जो हम पर स्थायी प्रभाव डालता है यदि हम संसार की स्थिति पर नज़र डालते हैं l

परमेश्वर का आदर करने का सर्वोत्तम तरीका उन बातों के विषय सावधान निर्णय करना है जिन्हें हमारे मनों में रहना चाहिए और जिससे हमारे हृदय भी सुरक्षित रहेंगे l

करवटें बदलना

कौन सी बात आपको रात में जगा के रखती है? हाल ही में मैंने नींद खोयी है, और बिस्तर पर करवटें बदलते हुए इस समस्या का हल खोजने का प्रयास किया है l आखिरकार अगले दिन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रयाप्त आराम नहीं मिलने से मैं खीज जाती हूँ!

जाना-पहचाना महसूस होता है? समस्याग्रस्त सम्बन्ध, अज्ञात भविष्य, जो भी हो – हम कभी न कभी चिंता करते ही हैं l भजन 4 को लिखते हुए राजा दाऊद अवश्य ही कठिनाई में था l लोग झूठे आरोप लगाकर उसकी इज्ज़त को बर्बाद कर रहे थे (पद.2) l और कुछ लोग उसके शासन करने की योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे थे (पद.6) l संभवतः दाऊद इस तरह के अन्यायपूर्ण व्यवहार से क्रोधित था l अवश्य ही वह कई रात तक इसके विषय बेचैन रह सकता था l फिर भी हम उसके इन अद्भुत शब्दों को पढ़ते हैं : “मैं शांति से लेट जाऊँगा और सो जाऊँगा” (पद.8) l

चार्ल्स स्पर्जन खूबसूरती से पद 8 की व्याख्या करते हैं : “इस तरह लेटकर , . . . [दाऊद] खुद को किसी के बाहों में डाल देता है; वह पूरी तरह ऐसा करता है, क्योंकि समस्त चिंताओं के अभाव में, वह सो सका; यहाँ पूर्ण भरोसा दिखाई देता है l”

इस भरोसा के पीछे कौन सी प्रेरणा है? आरम्भ से, दाऊद को भरोसा था कि परमेश्वर उसकी प्रार्थना सुनेगा (पद.3) l और वह निश्चित था कि परमेश्वर ने उससे प्रेम करने के लिए उसे चुना है, और वह उसकी ज़रूरतें भी पूरी करेगा l

चिंता के समय परमेश्वर हमें अपनी सामर्थ्य और उपस्थिति में आराम दे l उसके प्रभुत्व करनेवाले और प्रेमी बाहों में, हम “लेट” और “सो” जाएंगे l

बाबुश्का महिला

1963 में अमरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की हत्या सम्बंधित रहस्यों में “बाबुश्का महिला” एक रहस्य है l मूवी कैमरा द्वारा उन घटनाओं की ली गयी तस्वीरों में, वह पकड़ में नहीं आयी है l यह रहस्यमयी महिला, जो एक ओवरकोट और स्कार्फ(रुसी बूढ़ी महिला  की तरह दिखाई देती हुई) पहनी हुई दिखाई देती है, की पहचान नहीं हुई है और उसकी फिल्म कभी नहीं देखी गयी है l दशकों से, इतिहासकार और विद्वानों का अनुमान है कि भय ने “बाबुश्का महिला” को उस नवम्बर की दुखद शाम की अपनी कहानी बताने से रोका है l

यीशु के शिष्यों के छिप जाने के पीछे किसी तरह का अनुमान लगाना ज़रूरी नहीं है l वे उन अधिकारियों के भय से जिन्होंने उनके स्वामी की हत्या की थी दुबक गए थे (यूहन्ना 20:19) और सामने आकर अपने अनुभव बताने से हिचकिचा रहे थे l किन्तु तब ही यीशु मृतकों में से जी उठा l पवित्र आत्मा के आने के बाद मसीह के अनुयायियों का जो एक समय डरे हुए थे अब शांत रखना असंभव था! पेंतिकुस्त के दिन, पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से पूर्ण शमौन पतरस ने घोषणा की, “अतः अब इस्राएल का सारा घराना निश्चित रूप से जान ले कि परमेश्वर ने उसी यीशु को जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया , प्रभु भी ठहराया और मसीह भी” (प्रेरितों 2:36) l

यीशु के नाम में निडरतापूर्वक बोलने का अवसर निर्भीक लोगों अथवा सेवा को जीविका के रूप में लेने का प्रशिक्षण प्राप्त करनेवालों तक सीमित नहीं है l यह तो अन्तर्निवास करनेवाला पवित्र आत्मा है जो यीशु का सुसमाचार बताने की योग्यता देता है l उसकी सामर्थ्य से, हम साहस का अनुभव करके दूसरों के साथ अपने उद्धारकर्ता के विषय में बताते हैं l