कुछ समय पहले, मैंने अपने पत्नी, कैरी को वोइस मेसेज की सहायता से लिखित मेसेज भेजा l मैं घर से निकल रहा था और उसे ड्यूटी से घर लाने की मनसा से उसे मेसेज भेजा, “बूढ़ी लड़की, तुम कहाँ चाहती हो कि मैं तुम को घर लाने के लिए तुम से मिलूं?

मेरा उसे “बूढ़ी लड़की” पुकारना उसे बुरा नहीं लगता है – हम घर में यही नाम उपयोग करते हैं l किन्तु मेरा मोबाइल फोन इस वाक्यांश को नहीं “समझ सका” और उसके बदले “बूढ़ी गाय” लिखकर भेज दिया l

सौभाग्य से, कैरी तुरन्त समझ गयी कि कहाँ गलती हुई थी और उसे हास्यास्पद महसूस हुआ l बाद में उसने सोशल मीडिया पर यह सन्देश पोस्ट करके पूछा, “क्या मुझे बुरा मानना चाहिए था?” हम दोनों उसके विषय खूब हँसे l

मेरे अनुपयुक्त शब्दों के प्रति मेरी पत्नी का प्रेमी प्रतिउत्तर मुझे सोचने को विवश करता है कि परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं को अपने प्रेम से कैसे समझता है l प्रार्थना में क्या बोलना या माँगना है हम शायद नहीं जानते हैं, किन्तु जब हम मसीह के होते है, उसका आत्मा “आप ही ऐसी आहें भर भरकर, जो ब्यान से बाहर हैं, हमारे लिए विनती करता है”(रोमियों 8:26) और हमें अपनी गहरी आवश्यकताओं को प्रेम से उसके समक्ष रखने में मदद करता है l

हमारा स्वर्गिक पिता हमसे दूर रहकर इंतज़ार नहीं करता कि हम अपने शब्दों को ठीक करें l हम उसके निकट हर एक ज़रूरत लेकर आ सकते हैं, और निश्चित हो सकते हैं कि वह हमें समझता है और अपने प्रेम से हमें स्वीकार करता है l