मीठा और कड़वा
कुछ लोग कड़वा और कुछ मीठा चॉकलेट पसंद करते हैं। मध्य अमरिका के मायनों में इस का आनंद पेय के रूप में लिया जाता था और लोग इसमें मिर्च मिलाते थे। उन्हें यह “कड़वा पानी” पसंद था। वर्षों बाद यह स्पेन में प्रस्तुत हुआ, पर स्पेनियों को चॉकलेट मीठा पसंद था तो कड़वाहट कम करने के लिए उन्होंने इसमें चीनी और शहद मिलाई।
चॉकलेट के समान, दिन भी कड़वे या मीठे हो सकते हैं। ब्रदर लॉरेंस ने लिखा, “यदि हम जानते कि [परमेश्वर] हमें कितना प्रेम करते हैं, तो हम उनके हाथ से मीठा और कड़वा” समान रूप से लेने के लिए सदा तैयार रहते। मीठा और कड़वा समान रूप से स्वीकार करें? यह कठिन है! ब्रदर लॉरेंस किसकी बात कर रहे हैं? कुंजी परमेश्वर के चरित्र में मिलती है। भजनकार ने परमेश्वर से कहा, "तू भला है, और..." (भजन 119:68)।
चंगाई और औषधीय गुणों के लिए मायनों वासियों ने कड़वे चॉकलेट के महत्व को समझा। कड़वे दिनों का भी महत्व होता है। वह हमें हमारी कमजोरियों से अवगत कराते हैं और परमेश्वर पर निर्भर करने में हमारी सहायता करते हैं। भजनकार ने लिखा, “मुझे जो दुख हुआ...(पद 71)। परमेश्वर की भलाई का आश्वासन रखकर-आइये आज जीवन को, इसके भिन्न स्वाद समेत अपनाएं। हम कहें, "हे यहोवा, तू ने अपने वचन..."(पद 65)।
अनाम दया
ग्रेजुएशन के बाद मुझे एक कड़ा बजट बनाना पड़ा- सप्ताह में पच्चीस डॉलर। एक दिन, बिलिंग लाइन में मुझे लगा कि मेरा सामान मेरे बजट से अधिक लागत का है। "बीस डॉलर तक पहुंचकर बिलिंग रोक देना" मैंने केशियर से कहा। मिर्च छोड़कर बाकि सभी चीजें बिल हो गईं।
मैं निकल ही रही थी कि एक व्यक्ति मेरी कार के पास आया। मुझे एक पैकेट पकड़ा कर उसने कहा “आपकी मिर्ची यह रही”। इससे पहले मैं उसे धन्यवाद देती, वह जा चुका था।
दया के कार्य की इस भलाई की याद, मेरे दिल को आज भी छू जाती है और मत्ती 6 में यीशु के शब्दों का स्मरण दिलाती है। यीशु ने उन कपटियों की आलोचना करते हुए जो दिखावे के लिए दान देते थे, (पद 2) अपने चेलों को अलग रास्ता सिखाया। उन्होंने दान को ऐसे गुप्त रखने की प्रेरणा दी कि “जो तेरा दाहिना हाथ...(पद 3)!
एक अंजान व्यक्ति की दया ने मुझे याद दिलाया, देना कभी हमारे बारे में कभी न हो। हम देते हैं क्योंकि हमारे उदार परमेश्वर ने हमें बहुतायत से दिया है (2 कुरिन्थियों 9:6-11) गुप्त और उदार रूप से दान देकर हम यह दर्शाते हैं कि वह कौन हैं-और परमेश्वर को धन्यवाद की भेंट मिलती हैं जिसके केवल वो ही योग्य हैं (पद 11)।
इस सब के लिए तुच्छ जाना गया
सुज़ानाह सिब्बर अठारहवीं शताब्दी में अपनी गायन प्रतिभा के लिए मशहूर थी। हालांकि, अपने दाम्पत्य जीवन में निन्दात्मक समस्याओं के कारण वह उतनी ही बदनाम थी। इसलिए जब अप्रैल 1742 में, डबलिन में हेन्डल रचित मसीहा नाटक पहली बार किया गया, तो कई दर्शकों ने एकल गायिका के रूप में उसकी भूमिका को नहीं स्वीकारा।
नाटक के दौरान, सिब्बर मसीहा के विषय में गा रही थी: "वह तुच्छ जाना गया ...;"(यशायाह 53:3 केजेवी)। इन शब्दों से प्रभावित होकर रेव. पैट्रिक डेलेनी तुरन्त खड़े होकर कहने लगे, "हे नारी, इस कारण तेरे सभी पाप क्षमा कर दिए गए हैं!"
सुज़ानाह सिब्बर और हेन्डल रचित मसीहा के प्रसंग के बीच का संबंध स्पष्ट है "वह दुखी पुरूष”-यीशु मसीह-पाप के कारण "तुच्छ जाना जाता” और “मनुष्यों का त्यागा” हुआ था। भविष्यवक्ता यशायाह ने कहा, "मेरा धर्मी दास...।"(पद 11)।
मसीहा और हमारा संबंध कम स्पष्ट नहीं है। चाहे हम आलोचनात्मक दर्शकों के साथ, सुज़ानाह सिब्बर के साथ, या कहीं मध्य में खड़े हों, हम सभी को पश्चाताप करने और परमेश्वर की क्षमा प्राप्त करने की आवश्यकता है। यीशु ने अपने जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा परमेश्वर, हमारे पिता के साथ हमारा संबंध पुनः स्थापित कर दिया है।
इसके लिए-उस सब को जोयीशु ने पूरा किया-हमारे सभी पाप क्षमा हों।