कुछ लोग कड़वा और कुछ मीठा चॉकलेट पसंद करते हैं। मध्य अमरिका के मायनों में इस का आनंद पेय के रूप में लिया जाता था और लोग इसमें मिर्च मिलाते थे। उन्हें यह “कड़वा पानी” पसंद था। वर्षों बाद यह स्पेन में प्रस्तुत हुआ, पर स्पेनियों को चॉकलेट मीठा पसंद था तो कड़वाहट कम करने के लिए उन्होंने इसमें चीनी और शहद मिलाई।

चॉकलेट के समान, दिन भी कड़वे या मीठे हो सकते हैं। ब्रदर लॉरेंस ने लिखा, “यदि हम जानते कि [परमेश्वर] हमें कितना प्रेम करते हैं, तो हम उनके हाथ से मीठा और कड़वा” समान रूप से लेने के लिए सदा तैयार रहते। मीठा और कड़वा समान रूप से स्वीकार करें? यह कठिन है! ब्रदर लॉरेंस किसकी बात कर रहे हैं? कुंजी परमेश्वर के चरित्र में मिलती है। भजनकार ने परमेश्वर से कहा, “तू भला है, और…” (भजन 119:68)।

चंगाई और औषधीय गुणों के लिए मायनों वासियों ने कड़वे चॉकलेट के महत्व को समझा। कड़वे दिनों का भी महत्व होता है। वह हमें हमारी कमजोरियों से अवगत कराते हैं और परमेश्वर पर निर्भर करने में हमारी सहायता करते हैं। भजनकार ने लिखा, “मुझे जो दुख हुआ…(पद 71)। परमेश्वर की भलाई का आश्वासन रखकर-आइये आज जीवन को, इसके भिन्न स्वाद समेत अपनाएं। हम कहें, “हे यहोवा, तू ने अपने वचन…”(पद 65)।