एक और नदी पार करने की तरह यह इतना सरल नहीं था l कानून के अनुसार, कोई भी रोमी सेनापति सेना के टुकड़ी के साथ रोम में प्रवेश नहीं कर सकता था l इसलिए जब जुलियस सीज़र ई.पू. 49 में सेना की 13 वीं टुकड़ी को रुबिकोन नदी के पार इटली में प्रवेश कराया, यह राजद्रोह था l सीज़र का निर्णय बदला नहीं जा सकता था, और रोम के महान सेनापति का पूर्ण शासक बनने तक गृह-युद्ध होता रहा l आज भी, वाक्यांश “रुबिकोन नदी पार करना,” अलंकार “जहां से लौटा नहीं जा सकता है उस स्थान को पार करना” के रूप में उपयोग किया जाता है l
कभी-कभी हम दूसरों को कुछ बोलकर सम्बन्धात्मक रुबिकोन नदी पार कर देते हैं l कहे गए शब्द, वापस नहीं लिए जा सकते हैं l जब ये शब्द हमारे होठों से निकल जाते हैं, उनसे मदद और आराम मिलता है अथवा हानि होती है जो सुधारी नहीं जा सकती, उसी प्रकार जिस तरह सीज़र रोम में प्रवेश किया था l याकूब यह लिखते हुए, शब्दों के विषय एक और चित्रण देता है, “जीभ भी एक आग है; जीभ हमारे अंगों में अधर्म का एक लोक है, और सारी देह पर कलंक लगाती है, और जीवन गति में आग लगा देती है, और नरक कुण्ड कि आग से जलती रहती है (याकूब 3:6) l
जब हमें अहसास हो कि हमने किसी के साथ रुबिकोन नदी पार कर दी है, हम उनसे और परमेश्वर से क्षमा मांग सकते हैं (मत्ती 5:23-24); 1 यूहन्ना 1:9) l किन्तु इससे बेहतर परमेश्वर के पवित्र आत्मा में विश्राम प्राप्त करते हुए, पौलुस की चुनौती पर ध्यान देना है, “तुम्हारा वचन सदा अनुग्रह सहित और सलोना हो” (कुलु. 4:6), ताकि हमारे शब्दों द्वारा केवल प्रभु को आदर ही नहीं मिलेगा, किन्तु हमारे चारों ओर के लोग की उन्नत्ति होगी और वे उत्साहित होंगे l
जब शब्द हथियार बन जाएंगे, जल्द ही हमारे संबंधों को बहुत हानि पहुँचेगी l