1960 में, छः वर्ष की रूबी ब्रिड्जेस पहली अफ़्रीकी अमरीकी लड़की थी जिसको अमरीका के दक्षिणी भाग के एक पब्लिक प्राथमिक विद्यालय में दाखिला मिला जिसमें केवल श्वेत बच्चे ही पढ़ सकते थे l कई महीनों तक, शासकीय उच्च अधिकारी रूबी को स्कूल पहुंचाते थे l सड़क पर क्रोधित अभिभावक उसे श्राप देते थे, धमकाते थे और उसको अपमानजनक शब्दों से संबोधित करते थे l अन्दर कक्षा में वह सुरक्षित रहकर शिक्षिका बारबरा हेनरी से पढ़ती थी जो उसे पढ़ाने को सहमत थी, जबकि अभिभावक अपने बच्चों को रूबी के साथ पढ़ाना नहीं चाहते थे l
बच्चों के मशहूर मनोचिकित्सक रोबर्ट कोल्स कई महीनों तक रूबी को भय और तनाव के अनुभव से निकलने में सहायता करते रहे l वे रूबी की प्रार्थना से बहुत अधिक प्रभावित थे जो वह स्कूल जाते समय और लौटते समय करती थी l “परमेश्वर, कृपया, आप उन्हें क्षमा करें क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं” (देखें लूका 23:34) l
क्रूस पर से यीशु के शब्द लोगों के घृणा और अपमान के शब्दों से ताकतवर थे l जीवन के सबसे अधिक पीड़ादायक क्षण में, यीशु ने स्वाभाविक प्रतिउत्तर दिया जो उसने अपने शिष्यों को सिखाये थे : “अपने शत्रुओं से प्रेम रखो; जो तुम से बैर करें, उनका भला करो l जो तुम्हें श्राप दें, उनको आशीष दो; जो तुम्हारा अपमान करें, उनके लिए प्रार्थना करो l जैसा तुम्हारा पिता दयावंत है, वैसे ही तुम भी दयावंत बनो” (लूका 6:27-28, 36) l
इस प्रकार का स्वभाव केवल वहां संभव है जहाँ हम यीशु द्वारा प्राप्त सामर्थी प्रेम पर विचार करते हैं – वह प्रेम जो गहरे से गहरे घृणा से भी ताकतवर है l
रूबी ब्रिड्जेस ने हमें मार्ग दिखाया है l
जो तुम्हें श्राप दें, उनको आशीष दो; जो तुम्हारा अपमान करें, उनके लिए प्रार्थना करो l