मैं एक समूह के साथ मिलकर वार्षिक समुदायिक कार्यक्रम आयोजित करती हूँ l हम आयोजन की सफलता के लिए ग्यारह महीने योजना बनाते और तैयारी करते हैं l हम तिथि और स्थान का चुनाव करते हैं l हम टिकट की कीमत निर्धारित करते हैं l हम भोजन बिक्रेता से लेकर ध्वनि टेक्नीशियन तक, सभी बातों का चुनाव करते हैं l आयोजन के निकट आने पर, हम लोगों के प्रश्नों का उत्तर देते हैं और उनको जानकारी भी देते हैं l बाद में हम उनसे भी प्रतिउत्तर लेते हैं l हमारी टीम को उपस्थित लोगों से उत्साहमयी प्रसन्नता और क्षेत्र से शिकायतें भी सुनने को मिलती हैं l नकारात्मक प्रतिउत्तर निराशाजनक हो सकती हैं और कभी-कभी हमारे सामने पराजित होने की परीक्षा भी आती है l
यरूशलेम की दीवार की मरम्मत के समय नहेम्याह और उसकी टीम की आलोचना भी हुई l उन्होंने नहेम्याह और उसके साथ कार्यरत टीम का यह कहकर ठठ्ठा उड़ाया, “जो कुछ वे बना रहे हैं, यदि कोई गीदड़ भी उस पर चढ़े, तो वह उनकी बनायी हुई पत्थर की शहरपनाह को तोड़ देगा” (नहेम्याह 4:3) l आलोचकों के प्रति उसका उत्तर मेरी भी मदद करता है : निरुत्साहित होने अथवा उनकी आलोचनाओं का खण्डन करने की जगह, उसने परमेश्वर से सहायता मांगी l उसने सीधे तौर पर प्रतिउत्तर देने की अपेक्षा, परमेश्वर से उसके लोगों की दशा समझने और जानने और उनकी रक्षा करने को कहा (पद.4) l उन चिंताओं को परमेश्वर को सौंपने के बाद, वह और उसके साथियों का “मन उस काम में नित लगा रहा” (पद.6) और वे निरंतर दीवार की मरम्मत करते चले गए l
हमारे कार्य की आलोचना करनेवालों से हम विचलित न हों, यह हम नहेम्याह से सीख सकते है l जब हमारी आलोचना हो या हमारा मज़ाक उड़ाया जाए, पीड़ा या क्रोध के साथ अपने आलोचकों को उत्तर देने की अपेक्षा, हम परमेश्वर से प्रार्थनापूर्वक निराशा से हमारा बचाव करने को कहें ताकि हम पूरे मन से आगे बढ़ते रहें l
आलोचना से हमारा सर्वोत्तम बचाव परमेश्वर ही है l