घड़ियाँ और कैलेंडर
मेरे पिता की मृत्यु 58 वर्ष की उम्र में हुई l उस समय से, मैं ठहर कर उस तारीख को अपने पिता और मेरे जीवन पर उनके प्रभाव को याद करता हूँ l जब मैंने पहचाना कि मैंने उनके साथ रहने से अधिक उनके बिना जीवन बिताया है, तो मैंने अपने जीवन की संक्षिप्तता पर विचार करने लगा l
पिछली बातों पर विचार करते समय, हम समय के किसी घटना और हमारे हृदयों में उससे उत्पन्न होने वाली भावनाओं से भी संघर्ष करते हैं l समय को घड़ियों और कैलन्डरों की सहायता से मापने के बावजूद भी हम घटनाओं के कारण समय को याद करते हैं l जीवन के उन क्षणों में जो गहरी भावनाएं उत्पन्न करता हैं, हम आनंद, हानि, आशीष, पीड़ा, सफलता, और पराजय का अनुभव कर सकते हैं l
बाइबल हमें उत्साहित करती है : “हे लोगों, हर समय उस पर भरोसा रखो; उससे अपने अपने मन की बातें खोलकर करो; परमेश्वर हमारा शरणस्थान है” (भजन 62:8) l यह कथन आरामदायक समय का नहीं है l शत्रुओं से घिरे हुए दाऊद ने इन शब्दों को लिखा (पद.3-4) l ऐसी स्थिति में भी, वह परमेश्वर के सामने ठहरा रहा (पद.1,5) जिससे हम याद करते हैं कि परमेश्वर का अपराजित प्रेम (पद.12) संघर्ष के उन सभी समयों से कहीं महान है जिसका हम सामना करते हैं l
हर एक घटना में, हमें यह भरोसा है : हमारा परमेश्वर हमारे साथ खड़ा है, और वह हमारे जीवनों के सभी क्षणों में भरोसेमंद से कहीं बढ़कर है l जब जीवन के समय हमें पराजित करने की कोशिश करें, उसकी सहायता सही समय पर मिलेगी l
दाँत निकलने के दिन
मेरी पत्नी ने मुझे लेब्राडोर जाति का एक पिल्ला दिया जिसका नाम हमने मैक्स रखा l एक दिन चिंतन करते समय मेरे कमरे में मुझे अपने पीछे कागज़ के चबाने की आवाज़ आयी l मैं मुड़कर मैक्स को देखा जिसने गलती की थी l उसके सामने एक पुस्तक खुली थी और उसके मुँह से एक पन्ना लटक रहा था l
हमारे पशु चिकित्सक के अनुसार मैक्स के “दूध के दाँत टूटकर नए दाँत निकल रहे” हैं l कुत्ते के बच्चों के दूध के दाँत टूटकर स्थायी दाँत निकलते समय वे अपने मसूड़ों को आराम देने के लिए कुछ भी चबा लेते हैं l हमें मैक्स पर ध्यान देकर निश्चित करना था कि वह ऐसा कुछ भी न कुतरे जिससे उसका नुक्सान हो l हमें उसके बदले उसे स्वास्थ्यप्रद आदतें सिखानी होगी l
मैक्स के चबाने की आदत और उस पर ध्यान देने की मेरी ज़िम्मेदारी मुझे सोचने को विवश करती है कि हम अपने मनों और हृदयों में क्या “चबाते” हैं l क्या हम वेब अथवा टीवी देखते समय ध्यानपूर्वक विचार करते हैं कि हमारी अनंत आत्मा क्या ग्रहण कर रही है? बाइबल हमें उत्साहित करती है, “नए जन्मे हुए बच्चों के सामान निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो, ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिए बढ़ते जाओ, क्योंकि तुम ने प्रभु की कृपा का स्वाद चख लिया है”(1 पतरस 2:2-3) l यदि हम मसीह के अनुयायी बनकर रहना चाहते हैं तो हमें प्रतिदिन खुद को परमेश्वर के वचन और सच्चाई से भरना होगा l तब ही हम उसमें बढ़कर परिपक्व हो सकते हैं l
एक साल में बाइबल
मेरी सहेली और मैं सर्वदा-लयबद्ध समुद्र के निकट रेत पर बैठे हुए थे l सूर्य जैसे- जैसे दूर अस्त हो रहा था, लहरें बार-बार मुड़कर हमारे पावों के निकट आकर ठहर जाती थीं l “मुझे समुद्र पसंद है,” वह मुस्करा कर बोली l “उसमें गति है इसलिए मुझे गतिमान होने की ज़रूरत नहीं l”
कितना अच्छा विचार! हममें से कितने लोग ठहरने के लिए संघर्ष करते हैं l हम इस भय से अत्यधिक प्रयास करते जाते हैं, कि कहीं हमारे प्रयासों के विफल होने से हमारा अस्तित्व ही न मिट जाए l अथवा हमारा सामना उन वर्तमान सच्चाइयों से होगा जिनसे हम दूरी बनाकर रखना चाहते हैं l
भजन 46:8-9 में, परमेश्वर अपने सर्वसामर्थी ताकत का उपयोग करके अपनी सामर्थ्य का प्रदर्शन करता है l “आओ, यहोवा के महाकर्म देखो . . . . वह पृथ्वी की छोर तक की लड़ाइयों को मिटाता है; वह धनुष को तोड़ता, और भाले को दो टुकड़े कर डालता है l” परमेश्वर एक व्यस्त परमेश्वर है, जो हमारे अव्यवस्थित दिनों को शांत करता है l
और उसके बाद हम पद 10 में पढ़ते है, “चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ l”
अवश्य ही अव्यवस्थित दिनों में भी परमेश्वर को जानना संभव है l किन्तु खुद के प्रयासों को विराम देने का भजनकार का निमंत्रण हमें एक भिन्न प्रकार का बोध कराता है l यह जानना कि हम अपने प्रयासों को विराम देकर भी अस्तित्व में रह सकते हैं क्योंकि परमेश्वर कभी भी नहीं रुकता है l यह जानना कि यह परमेश्वर की सामर्थ्य है जो हमें असली महत्त्व, सुरक्षा, और शांति देती है l