जब ज़ेवियर दो वर्ष का था, वह जूते की एक छोटी दूकान के गलियारे में दौड़ लगाने लगा l तब मेरे पति, एलन ने कहा, “मैं तुम्हें देख सकता हूँ,” वह जूते के डिब्बों के पीछे छिपकर खिलखिलाता रहा l
कुछ क्षण बाद, मैंने एलन को घबराकर एक गलियारे से दूसरे में भागते देखा l वे ज़ेवियर को पुकार रहे थे l हम दोनों दौड़ कर स्टोर के सामने आ गए l हमारा बेटा अभी भी खिलखिला रहा था, और हमने उसे दूकान के सामने व्यस्त सड़क की ओर भागते देखा l

कुछ ही पलों में, एलन ने उसे गोद में उठा लिया l हमने उसे बाहों में लेकर परमेश्वर का  धन्यवाद किया l हमने सिसकते हुए अपने छोटे बेटे के गोल-मोल गालों को चूमा l एक वर्ष पूर्व ज़ेवियर के जन्म लेने से पहले मैं अपना पहला गर्भ खो चुकी थी l जब परमेश्वर ने हमें एक बेटा के रूप में आशीषित किया, मैं भयभीत माँ हो गयी l जूते की दूकान वाले अनुभव ने यह जता दिया था कि मैं हमेशा अपने बेटे पर दृष्टि रखने या उसे सुरक्षित रखने में असमर्थ हूँ l किन्तु मैंने चिंता और भय से संघर्ष करते समय अपने सर्व उपस्थित परमेश्वर पर जो मेरा सहायक और सुरक्षा देनेवाला है, भरोसा करके शांति का अनुभव किया l

हमारा स्वर्गिक पिता अपने बच्चों पर सदा अपनी दृष्टि रखता है (भजन 121:1-4) l जबकि हम परीक्षा, दुःख, या हानि को रोकने में असमर्थ हैं, हम सदा उपस्थित रहनेवाले और सुरक्षा देनेवाले परमेश्वर पर जो हमारे जीवनों पर दृष्टि रखता है, निश्चित भरोसे के साथ जीवन व्यतीत कर सकते हैं (पद.5-8) l

हम ऐसे दिनों का सामना करेंगे जब हम खुद को खोया हुआ और मजबूर महसूस करेंगे l हम खुद को सामर्थहीन भी महसूस करेंगे जब हम अपनों की सुरक्षा नहीं कर पाएंगे l किन्तु हम सर्वज्ञानी परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं जो सदैव हम पर अर्थात् अपने प्रिय और अतिप्रिय बच्चों पर दृष्टि रखता है l