परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिए भला है; मैंने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है l भजन 73:28

जब हम ओकलाहामा में रहते थे मेरा एक मित्र टोर्नेडो तूफ़ान का “पीछा करता था l” जॉन ध्यानपूर्वक अन्य अंकित करनेवालों(chaser) एवं स्थानीय रडार की मदद से रेडियो संपर्क द्वारा तूफान का पीछा करता था l वह तूफान और अपने बीच दूरी बनाकर रखते हुए तूफान की दिशा और उसके विनाशक मार्ग पर ध्यान रखता था ताकि वह लोगों के मार्ग में हानि की सम्भावना होने पर अचानक आनेवाले बदलाव की रिपोर्ट दे सके l

एक दिन कीप के आकार के तूफ़ान(funnel cloud) के अचानक अपना मार्ग बदलने पर  जॉन खुद ही गंभीर खतरे में पड़ गया l संयोग से, उसे आश्रय मिल गया जिससे उसकी जान बच गयी l

उस दोपहर को जॉन का अनुभव मुझे एक और विनाशकारी मार्ग के विषय सोचने को विवश करता है : हमारे जीवनों में पाप l बाइबल कहती है, “प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा से खीँचकर और फंसकर परीक्षा में पड़ता है l फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनती है और पाप जब बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्पन्न करता है” (याकूब 1:14-15) l

यहाँ एक प्रगति है l जो आरम्भ में हानि रहित दिखाई देता हो, वह शीघ्र ही नियंत्रण से बाहर होकर बर्बादी ला सकता है l किन्तु जब परीक्षा डराने लगे, तब परमेश्वर विनाशक तूफान में शरणस्थान है l

परमेश्वर का वचन हमसे कहता है कि वह कभी भी हमारी परीक्षा नहीं लेता है, और हम केवल अपने चुनावों को ही दोषी करार दे सकते हैं l किन्तु जब हमारी परीक्षा होती है, “वह परीक्षा के साथ [हमारा] निकास भी करेगा कि [हम] सह [सकें]” (1 कुरिन्थियों 10:13) l जब हम परीक्षा की घड़ी में उसकी ओर मुड़कर यीशु से मदद मांगते हैं, वह हमें जयवंत होने के लिए सामर्थ्य देता है l

यीशु सदैव हमारा शरणस्थान है l