कुछ एक समस्याओं से पिता का नाम जुड़ा हुआ है l जैसे, हाल ही में मेरे बच्चों ने देखा कि मधुमक्खियों हमारे सामने के कंक्रीट बरामदे के दरार में छत्ते बना लिया है l इसलिए, मैंने कीट स्प्रे लेकर उनको हटाने लगा l
मधुमक्खियों ने मुझे पाँच बार डंक मारा l
मुझे कीटों का डसना अच्छा नहीं लगता है l किन्तु मैं सह लूँगा पर मेरे बच्चों या मेरी पत्नी को कुछ न हो l आखिरकार मेरे कार्य सूची में मेरे परिवार का हित मेरे लिए सबसे पहले है l मेरे बच्चों के पास एक ज़रूरत थी, और उन्होंने मुझसे उसको पूरा करने को कहा l वे जिन बातों से डरते हैं उनसे सुरक्षा देने के लिए मुझ पर भरोसा करते हैं l
मत्ती 7 में, यीशु की शिक्षा है कि हमें भी अपनी ज़रूरतों के लिए परमेश्वर के पास जाकर (पद.7), उसके प्रबंध पर भरोसा करना चाहिए l यीशु इसे किरदार की सहायता से समझाता है : “तुम में से ऐसा कौन मनुष्य है, कि यदि उसका पुत्र उससे रोटी मांगे, तो वह उसे पत्थर दे? या मछली मांगे, तो उसे साँप दे?” (पद.9-10) l प्रेमी माता-पिता के लिए, उत्तर स्पष्ट है l किन्तु यीशु फिर भी उत्तर देते हुए, हमारे पिता की उदार भलाई में विश्वास नहीं खोने की चनौती देता है : “अतः जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने मांगनेवालों को अच्छी वस्तुएं क्यों न देगा?” (पद.10) l
मैं अपने बच्चों को और अधिक प्यार करने की कल्पना भी नहीं कर सकता हूँ l किन्तु यीशु हमें निश्चित करता है कि हमारे लिए परमेश्वर के प्रेम के समक्ष संसार के सबसे अच्छे पिता का प्रेम भी कम है l
हम अपने पिता पर सभी ज़रूरतों के लिए निर्भर हो सकते हैं l