युवावस्था में मैं मां का विद्रोह कर चुकी हूँ। मेरी किशोरावस्था से पहले मेरे पिता की मृत्यु हो गई इसलिए माँ को मेरी परवरिश का बोझ अकेले उठाना पड़ा था।
मुझे लगता था कि माँ नहीं चाहती कि मुझे मज़ा मिले-शायद उन्हें मुझसे प्यार नहीं था-क्योंकि वो हर बात के लिए मुझे मना कर देती थी। अब समझ आता है, मुझसे प्रेम करने के कारण वह उन बातों के लिए मना करती थी जो सही नहीं थी।
बाबुल में बंधुवाई के कुछ समय बाद इस्राएलियों ने परमेश्वर के प्रेम पर सवाल उठाया। परन्तु वास्तव में उनके निरंतर विद्रोह के कारण परमेश्वर ने उन्हें बंधुवाई में भेजा था। फिर, उनके पास परमेश्वर ने मलाकी को भेजा (मलाकी 1:2)। परमेश्वर ने कहा, “मैंने तुमसे प्रेम किया है”। इस्राएल ने संदेहपूर्वक पूछा कि परमेश्वर ने किस बात में उन से प्रेम किया है? मलाकी के माध्यम से परमेश्वर ने उन्हें याद दिलाया कि उन्होंने उस प्रेम को किस तरह दिखाया था: उन्हें एदोमियों के ऊपर चुनकर।
जीवन के मुश्किल मौसम से गुजरने पर हम परमेश्वर के प्रेम पर प्रश्न उठाने को प्रलोभित हो जाते हैं। याद रखें कि परमेश्वर ने हम पर अपना अचूक प्रेम किस प्रकार दर्शाया है। उनकी भलाई पर विचार करके हम देखते हैं कि वह वास्तव में एक प्रेमी पिता हैं।
हमारा स्वर्गीय पिता हमें सुधारता है और हमें तस्सली देता है।