अपने पर-नाना की बाइबल के पन्ने उलटते समय एक खजाना मेरी गोद में गिरा l कागज़ का एक छोटा टुकड़ा, जिस पर, एक युवा की लिखावट में निम्नलिखित शब्द अंकित थे, “धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है l धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे” (मत्ती 5:3-4) l उन पदों के निकट मेरी माँ ने टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट में अपना हस्ताक्षर किया था l

नाती-पोते बाइबल के पद लिखकर याद करें, मेरी पर-नानी अपनी आदत के अनुसार उनको ऐसा ही करना सिखाती थी l किन्तु इस पद के पीछे की कहानी से मेरी आँखें नम हो गयीं l मेरे नाना की मृत्यु तब हुई जब मेरी माँ बहुत छोटी थी, और उनका छोटा भाई(मेरे मामा) कुछ सप्ताह बाद चल बसे l उस दु:खद समय में मेरी पर-नानी ने मेरी माँ से यीशु और उसके आश्वासन की ओर देखने को कहा l

पौलुस ने तीमुथियुस को लिखा, “ मुझे तेरे उस निष्कपट विश्वास की सुधि आती है, जो पहले तेरी नानी लोइस और तेरी माता यूनीके में था, और मुझे निश्चय है कि तुझ में भी है” (2 तीमुथियुस 1:5) l विश्वास विरासत में नहीं मिलता है, यह बाँटा  जाता है l तीमुथियुस की माँ और नानी ने उसके साथ अपना विश्वास बाँटा, और उसने विश्वास किया l

जब हम अपने निकट के लोगों को यीशु में आशा प्राप्त करने के लिए उत्साहित करते हैं, हम उनको प्रेम की विरासत देते हैं l उस छोटे से कागज़ के टुकड़े के द्वारा, मेरी माँ ने मेरी पर-नानी के प्रेम का प्रमाण छोड़ गयी जो वह अपने उद्धारकर्ता और अपने परिवार से करती थी l ओह, उसके विषय अपनी आने वाली पीढ़ी को बताना कितना भला है!