पुरानी दर्द और निराशाओं के कारण वर्षों की थकान के साथ सीमित गतिशीलता ने आखिरकार मुझे अपनी पकड़ में ले लिया था l अपने असंतोष में, मैं अत्यधिक रौब जमानेवाली और कृतघ्न हो गयी l मेरे पति की मेरी देखभाल करने के कौशल के विषय मैं शिकायत करने लगी थी l घर की सफाई के उसके तरीके से मैं नाखुश हुयी l यद्यपि मैं जानती हूँ कि वह सबसे अच्छा भोजन बनाता है, मैं भोजन की विविधता की कमी पर कोलाहल मचाने लगी थी l अंततः उसके बताने पर कि मेरा कुड़कुड़ाना उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचा रहे हैं, मैं क्रोधित हो गयी l आखिरकार, परमेश्वर ने मुझे अपनी गलतियाँ समझने में मेरी मदद की, और मैंने अपने परमेश्वर और पति से क्षमा मांग ली l
भिन्न परिस्थितियों की इच्छा करना हमें शिकायत, और सम्बन्ध बिगाड़ने वाले आत्म-केन्द्रितता की ओर ले जाता है l इस्राएली इस दुविधा से परिचित थे l ऐसा महसूस होता है मानो वह हमेशा असंतुष्ट रहते थे और परमेश्वर के प्रबंध के लिए कभी भी धन्यवादी नहीं थे (निर्गमन 17:1-3) l यद्यपि प्रभु ने “आकाश से भोजन वस्तु” (16:4) देकर बियाबान में अपने लोगों की देखभाल की थी, वह अन्य प्रकार का भोजन खाना चाहते थे (गिनती 11:4) l इस्राएली परमेश्वर की विश्वासयोग्यता और प्रेमपूर्ण देखभाल के दैनिक आश्चकर्म के लिए आनंदित होने के बदले, और भी कुछ चाहते थे, कुछ बेहतर, कुछ भिन्न, या कुछ जो पहले खाते थे (पद.4-6) l वे अपनी कुण्ठा मूसा पर निकालते थे (पद.10-14) l
परमेश्वर की भलाई और विश्वासयोग्यता पर भरोसा रखने से धन्यवाद की समझ बढ़ती है l आज हम उसकी असंख्य देखभाल के लिए उसे धन्यवाद दे सकते हैं l
कृतज्ञता पूर्ण प्रशंसा परमेश्वर को संतुष्ट और आनन्दित करता है l