मैं अपने पिता को बाइबल की विभिन्न व्याख्याओं पर ख़त्म न होनेवाले विवाद से अलग होने की कठिनाई के विषय बात करते हुए याद करता हूँ l तुलनात्मक तरीके से यह बात कितनी अच्छी होती थी जब वे असहमति के लिए सहमत होते थे l
किन्तु जब इतना कुछ दाँव पर लगा हो तो क्या परस्पर-विरोधी बातों को एक ओर करना वास्तविक है? यह अन्य प्रश्नों में से एक प्रश्न है जिसका उत्तर प्रेरित पौलुस नया नियम में अपनी रोमियों की पत्री में देता है l सामजिक, राजनैतिक, और धार्मिक प्रतिद्वन्द में लिप्त पाठकों को लिखते हुए, वह अत्यधिक फूट डालने की स्थितियों में भी सामान्य आधार खोजने के लिए अनेक सलाह देता है (14:5-6) l
पौलुस के अनुसार, असहमत होने के लिए सहमत होना याद दिलाता है कि हर एक केवल अपने विचारों के लिए प्रभु को हिसाब नहीं देगा किन्तु अपनी असमानताओं के बीच हमारा परस्पर आचरण कैसा है (पद.10) l
विरोध की स्थितियां वास्तव में याद करने के अवसर बन जाते हैं कि हमारे अपने विचारों से कुछ बातें अधिक विशेष हैं अर्थात् बाइबल की हमारी व्याख्याओं से भी अधिक विशेष l हममें से प्रत्येक इस बात का हिसाब देंगे कि जिस तरह मसीह ने हमसे प्रेम किया है, क्या हमने परस्पर प्रेम किया है, और अपने दुश्मनों को भी l
अब जबकि मैं इसके बारे में सोचता हूँ, मैं अपने पिता की बातें याद करता हूँ कि असहमति के लिए सहमत होना कितना अच्छा है किन्तु परस्पर प्रेम और आदर के साथ l
हम असहमति के लिए सहमत हो सकते हैं – प्रेम में l