मेरा पड़ोसी टिम ने अपने डैशबोर्ड पर मौरिस सेनडैक की बच्चों की प्रिय पुस्तक वेयर द वाइल्ड थिंग्स आर (Where the Wild Things Are) पर आधारित एक “जंगली चीज़” की मुर्तिका लगा रखी है l
कुछ समय पूर्व, टिम यातायात से होकर मेरा पीछा कर रहा था और कुछ असंगत कदम उठाकर मुझ तक पहुँचने का प्रयास कर रहा था l जब हम पहुँच गए, मैंने पूछा, “क्या वह ‘जंगली चीज़’ गाड़ी चला रही थी l”
अगले रविवार मैं घर पर अपने उपदेश नोट्स भूल आया l मैं उसे लाने के लिए “शीग्रता से” चर्च से बाहर निकला, और उसी रास्ते से टिम गुज़रा l जब हम बाद में मिले, तो उसने मजाक किया, “क्या वह जंगली चीज गाड़ी चला रही थी?” हम हँसे, लेकिन उसका मुद्दा समझ में आ गया – मुझे गति सीमा पर ध्यान देना चाहिए था l
जब बाइबल बताती है कि परमेश्वर के साथ सम्बन्ध में रहने का क्या मतलब है, तो यह हमें “[अपने] हर हिस्से को अर्पित” करने के लिए प्रोत्साहित करता है (रोमियों 6:13) l मैंने अपना “सब कुछ,” अर्पित करने के लिए उस दिन टिम की प्रतिक्रिया को परमेश्वर से एक सौम्य ताकीद के रूप में लिया, जिससे मुझे उसके प्रेम के कारण अपना सर्वस्व देना था l
“कौन चला रहा है?” का सवाल पूरे जीवन पर लागू होता है l क्या हम अपने पुराने पाप प्रकृति की “जंगली चीजें” को हमें चलाने देते हैं – जैसे चिंता, भय, या आत्म-इच्छा – या क्या हम खुद को परमेश्वर की प्रेमपूर्ण आत्मा और अनुग्रह के लिए अर्पित करते हैं जो हमें बढ़ने में मदद करते हैं?
परमेश्वर को अर्पित करना हमारे लिए अच्छा है l पवित्रशास्त्र कहता है कि परमेश्वर की बुद्धि हमें “आनंददायक [मार्ग पर ले चलती है] और उसके सब मार्ग कुशल के हैं” (नीतिवचन 3:17) l उसके मार्गदर्शन में चलना बेहतर है l