“मैं तुमसे प्यार करता हूँ!” मेरे पिता बोले जब मैं कार के दरवाजे को ज़ोर से बंद करके स्कूल की ओर चल दी l मैं छठी कक्षा में थी, और महीनों से हर सुबह एक ही स्थिति थी l स्कूल पहुँचने पर पिता कहते थे, “तुम्हारा दिन अच्छा हो! मैं तुमसे प्यार करता हूँ!” और मैं केवल कहती थी, “अलविदा l” मैं उनसे नाराज़ नहीं थी या उनकी उपेक्षा नहीं करती थी l अपने विचारों में अत्यधिक मशगूल होने के कारण मैं उनके शब्दों पर ध्यान नहीं देती थी l फिर भी, मेरे पिता का प्रेम दृढ़ बना रहा l

परमेश्वर का प्रेम ऐसा ही है – उससे भी अधिक l वह सदा स्थिर रहता है l इस प्रकार के प्रेम के लिए इब्रानी शब्द हेसेद है l पुराना नियम में यह शब्द बार-बार दोहराया गया है, और केवल भजन सहिंता 136 में छब्बीस बार! कोई भी आधुनिक शब्द इसका अर्थ स्पष्ट नहीं कर सकता है; हम इसका अर्थ “दयालुता,” “करुणा,” “दया,” या निष्ठा” लगाते हैं l हेसेद ऐसा प्रेम है जो वाचा प्रतिबद्धता पर आधारित है; प्रेम जो निष्ठावान और विश्वासयोग्य है l परमेश्वर के लोगों द्वारा पाप करने के बावजूद, वह उनसे प्रेम करने में विश्वासयोग्य था l दृढ़ प्रेम परमेश्वर के चरित्र का एक अभिन्न भाग है (निर्गमन 34:6) l

जब मैं बच्ची थी, मैं अपने पिता के प्रेम को अनुदत्त/स्वीकार्य मान लेती थी l कभी-कभी वर्तमान में भी मैं अपने स्वर्गिक पिता के प्रेम के साथ ऐसा ही करती हूँ l मैं परमेश्वर की नहीं सुनती हूँ और उत्तर नहीं देती हूँ l मैं धन्यवादी होना भूल जाती हूँ l फिर भी मैं जानती हूँ कि मेरे लिए परमेश्वर का प्रेम दृढ़ है – एक सच्चाई जो मेरे पूरे जीवन के लिए एक निश्चित आधार है l