हर क्रिसमस, मेरा एक दोस्त साल की घटनाओं की समीक्षा करते हुए अपनी पत्नी को एक लम्बा पत्र लिखता है, और भविष्य के बारे में सपना देखता है l वह हमेशा उसे कहता है वह उससे कितना प्यार करता है, और क्यों l वह अपनी प्रत्येक बेटी को भी पत्र लिखता है l प्यार के उसके शब्द एक विस्मरणीय उपहार बन जाता है l

हम कह सकते हैं कि मूल क्रिसमस प्रेम पत्र यीशु था, देहधारित वचन l यूहन्ना अपने सुसमाचार में इस सच्चाई को उजागर करता है : “आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था” (यूहन्ना 1:1) l प्राचीन दर्शनशास्त्र में, यूनानी शब्द, लोगोस (logos), का अर्थ सच्चाई को मिलाने वाला एक दिव्य मस्तिस्क या व्यवस्था थी, किन्तु यूहन्ना ने उस परिभाषा को एक व्यक्ति  के रूप में प्रगट किया :  यीशु, परमेश्वर का पुत्र जो “आदि से परमेश्वर के साथ था” (पद.2) l वचन, पिता का “एकलौता पुत्र,” “देहधारी होकर हमारे बीच निवास किया” (पद.14) l वचन जो यीशु था के द्वारा, परमेश्वर ने पूर्ण रूप से खुद को प्रगट किया l

धर्मविज्ञानिकों ने सदियों से इस खूबसूरत सहस्य के साथ सामना किया है l हालाँकि जितना भी हो हम नहीं समझेंगे, हम इस बात से निश्चित हैं कि यीश वचन होकर हमारे अन्धकार संसार को ज्योति देता है (पद.9) यदि हम उसमें विश्वास करते हैं, हम परमेश्वर के प्रिय बच्चे होने के उपहार का अनुभव करेंगे (पद.12) l

यीशु, हमारे लिए परमेश्वर का पत्र, आकर हमारे बीच में निवास किया l तो यह एक अद्भुत क्रिसमस उपहार है!