हमारी कलीसिया एक पुराने प्राथमिक विद्यालय में इकठ्ठी होती है, जो स्कूल यूएस न्यायालय के एक आदेश (अफ्रीकी अमरीकी विद्यार्थियों को उस स्कूल में आने देने का था, जिसमें पहले मात्र अमेरीकी विद्यार्थी ही आते थे) को न मानने के कारण 1958 में बन्द हो गया थाl अगले वर्ष, स्कूल दोबारा खुला और एल्वा, हमारी कलीसिया की एक सदस्य, उन अश्वेत विद्यार्थियों में से एक थी, जिन्हें एक श्वेत संसार में धकेल दिया गया थाl “मुझे मेरे सुरक्षित समुदाय के साथ-साथ उन शिक्षकों, जो मेरे जीवन का एक हिस्सा थे, से बाहर निकाल कर केवल एक अन्य अश्वेत विद्यार्थी के साथ एक कक्षा के भयावह वातावरण में डाल दिया” एल्वा स्मरण करती हैl एल्वा ने कष्ट उठाया, क्योंकि वह भिन्न थी, परन्तु वह साहस, विशवास और क्षमा करने वाली एक महिला बनीl   

उसकी गवाही अत्यन्त गम्भीर है, क्योंकि उसने समाज के कुछ सदस्यों के हाथों बहुत बुराई को सहन किया, जिस समाज ने इस सत्य को अस्वीकार कर दिया था कि प्रत्येक मनुष्य को, नस्ल और विरासत पर ध्यान दिए बिना, परमेश्वर के द्वारा प्रेम किया जाता हैl आरम्भिक कलीसिया के कुछ स्स्दस्यों ने इसी सत्य के साथ संघर्ष किया, उन्होंने इस बात पर विश्वास किया कि कुछ लोगों को जन्म के कारण ही परमेश्वर के द्वारा प्रेम किया जाता है, जबकि दूसरों को अस्वीकार कर दिया जाता हैl एक दिव्य प्रकाशन प्राप्त होने के पश्चात, पतरस ने सभी को हैरान कर दिया, जिसने उसके इस चौंका देने वाले प्रकाशन को सुना: “अब मुझे निश्‍चय हुआ कि परमेश्‍वर किसी का पक्ष नहीं करता, वरन् हर जाति में जो उससे डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है (प्रेरितों के काम 10:34-35)l

परमेश्वर अपने प्रेम को प्रत्येक व्यक्ति की ओर बढ़ाने के लिए अपनी बाहें फैलाता हैl प्रभु करे कि उसकी सामर्थ्य में होकर हम भी वैसा ही करेंl