अभिनेत्री डायने क्रूगर को एक भूमिका निभाने का प्रस्ताव दिया गया जो उन्हें एक घर-परिवार वाली अभिनेत्री का नाम प्रदान कर देगा। परन्तु इसमें उन्हें एक युवा पत्नी और एक माता की भूमिका अदा करनी होगी जो अपने पति और बच्चे की मृत्यु का सामना कर रही है, और उसने अब तक कभी इतना कठोर दुःख व्यक्तिगत रूप से अनुभव नहीं किया है। उन्हें नहीं पता था कि वह इस भूमिका में खरी उतर पाएँगी। परन्तु उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया और तैयारी के लिए उन्होंने उन लोगों की सहयोग सभाओं में जाना आरम्भ कर दिया, जो चरम दुःख की घाटी से हो कर गुजर रहे थे।

आरम्भ में तो उन्होंने अपने सुझाव और विचार प्रदान किए, जब उस समूह के लोगों ने आपबीती को बताया। हम में से अधिकत्तर लोगों के समान वह सहायता करना चाहती थी। परन्तु धीरे-धीरे उन्होंने बात करना बन्द कर दिया और चुपचाप सुनना आरम्भ कर दिया। यही समय था जब उन्होंने उनकी परिस्थिति को व्यक्तिगत रूप से समझा। और उन्हें यह पहचान अपने कानों के द्वारा आई।

लोगों के विरुद्ध यिर्मयाह का अभियोग यह था कि उन्होंने परमेश्वर के स्वर को सुनने के लिए अपने “कानों” का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया था। नबी ने अपने शब्दों को हल्का नहीं किया और उन्हें “मूर्ख और निर्बुद्धि लोग” कहा (यिर्मयाह 5:21) । परमेश्वर निरन्तर हमारे जीवनों में कार्यरत है और प्रेम , निर्देश, प्रोत्साहन और चेतावनी के शब्द बोल रहा है। पिता कि इच्छा यह है कि आप और मैं सीखें और परिपक्व बनें और हम में से प्रत्येक को ऐसा करने के लिए औजार, जैसे कि कान, प्रदान किए गए हैं। तो फिर प्रश्न यह है कि क्या हम अपने पिता के दिल की बात को सुनने के लिए इसका प्रयोग करेंगे ?