मैं कौन हूँ? यह एक प्रश्न है जो मिक इंकपेन द्वारा लिखित बच्चों की एक पुस्तक नथिंग में एकदुर्बल स्टफडजानवर पूछता है। एक धूल-धूसरित कोने में छिपा हुआ यह जानवर सामान स्थानांतरित करनेवालों को उसे “नथिंग” कहकर पुकारते हुए सुनता है और सोचता है उसका नाम ही “नथिंग” है।

दूसरे जानवरों से सामना होने पर उसकी याद वापस आती है। नथिंग को याद आता है कि उसकी भी एक पूँछ, मूछें और धारियाँ थीं। परन्तु इसका कोई लाभ नहीं हुआ जब तक उसकी भेंट एक बिल्ली से नहीं हुई, जिसने सही ओर जाने में और नथिंग को यह याद दिलाने में उसकी सहायता की कि वह वास्तव में है कौन: टोबी नामक एक स्टफड कैट। उसके मालिक ने बड़े ही प्रेम के साथ उसे ठीक किया, उसके नए कान, पूँछ, मूछें और धारियाँ सिलीं।

मैं जब कभी भी यह पुस्तक पढ़ती हूँ, तो मैं अपनी पहचान के बारे में सोचने लगती हूँ। मैं कौन हूँ? यूहन्ना, विश्वासियों को लिखते हुए कहता है कि परमेश्वर ने हमें अपनी सन्तान कहा है (1 यूहन्ना 3:1) । हम उस पहचान को पूरी तरह से नहीं समझते, परन्तु जब हम यीशु को देखते हैं, तो हम उसके समान बन जाएँगे (पद 2) । ठीक उस टोबी नामक बिल्ली के समान, हमें उस पहचान में पुनर्स्थापित कर दिया जाएगा, जिसकी इच्छा हमारे लिए रखी गई है, वह पहचान पाप के द्वारा बिगाड़ दी गई थी।अभी हम उस पहचान को कुछ हद तक समझते हैं और हम एक-दूसरे में परमेश्वर के स्वरूप को पहचान सकते हैं। परन्तु एक दिन, जब हम यीशु को देखेंगे, हम उस पहचान में पूरी तरह से पुनर्स्थापित कर दिए जाएँगे, जिसकी इच्छा परमेश्वर हमारे लिए रखता है। हमें नया बना दिया जाएगा।