जब माइकल की पत्नी को मरणान्तक बीमारी(Terminal illness) हो गयी, उसकी इच्छा हुयी कि वह भी उस शांति का अनुभव करे जो परमेश्वर के साथ सम्बन्ध रखने के द्वारा उसके पास थी l उसने उसके साथ अपना विश्वास साझा किया था, किन्तु उसमें रूचि नहीं थी l एक दिन, जब वह स्थानीय बुकस्टोर में गया, एक पुस्तक ने उसे अपनी ओर आकर्षित की, परमेश्वर, क्या आप वहाँ हैं? अनिश्चित कि इस पुस्तक के प्रति उसकी पत्नी का रवैया क्या रहेगा, पुस्तक खरीदने से पहले कई बार उसने दूकान के अन्दर बाहर आना जाना किया l वह चकित हुआ, उसकी पत्नी ने पुस्तक स्वीकार कर लिया l

उस पुस्तक ने उसे स्पर्श किया, और वह बाइबल भी पढ़ने लगी l दो सप्ताह बाद, माइकल की पत्नी गुज़र गयी – परमेश्वर के साथ शांति में और इस निश्चयता में कि वह उसे कभी नहीं त्यागेगा या छोड़ेगा l

जब परमेश्वर ने मूसा से अपने लोगों को मिस्र से निकलने के लिए बुलाया, उसने अपनी सामर्थ्य की प्रतिज्ञा नहीं दी l इसके बदले, उसने अपनी उपस्थिति की प्रतिज्ञा दी : “मैं तेरे संग रहूँगा” (निर्गमन 3:12) l अपने क्रूसीकरण से पूर्व यीशु ने अपने शिष्यों से परमेश्वर की अनंत ऊपस्थिति की प्रतिज्ञा की, जो वे पवित्र आत्मा द्वारा प्राप्त करेंगे (यूहन्ना 15:26) l

अनेक चीजें हैं जो परमेश्वर जीवन की चुनौतियों में हमें मदद के लिए दे सकता था, जैसे भौतिक आराम, चंगाई, या हमारी समस्याओं का त्वरित हल l कभी-कभी वह करता भी है l किन्तु खुद को देकर वह हमें सर्वोत्तम उपहार देता है l यह हमारे लिए महानतम सुख है : जीवन में जो भी हो, वह हमारे साथ रहेगा; वह हमें न छोड़ेगा और न त्यागेगा l