मैं चौवन वर्ष की आयु में दो लक्ष्यों – दौड़ पूरी करने और पाँच घंटो के भीतर पूरी करने – के साथ मिलवॉकी मेराथन(लम्बी दौड़) में भाग लिया l मेरा समय आश्चर्यचकित करनेवाला होता यदि 13.1 मील वाला दूसरा भाग पहले वाले की तरह अच्छा गया होता l परन्तु दौड़ थकाऊ थी, और पुनःस्थापित उर्जा जिसकी मैं आशा करता था कभी नहीं लौटी l जब तक मैं समापन रेखा तक पहुँचता, मेरे लम्बे कदम पीड़ाकर चाल में बदल गए थे l

दौड़ के मुकाबले ही केवल ऐसी चीज़ नहीं, जीवन की दौड़ को भी पुनःस्थापित उर्जा की ज़रूरत होती है l सहन करने के लिए, थके लोगों को परमेश्वर की सहायता की ज़रूरत होती है l यशायाह 40:27-31 खूबसूरती से काव्य और नबूवत को जोड़कर आवश्यकतामंदों को लगातार चलते रहने के लिए आराम पहुँचाते हैं और प्रेरित करते हैं l शाश्वत शब्द थके और निराश लोगों को स्मरण कराते हैं कि प्रभु पृथक या परवाह नहीं करनेवाला नहीं है (पद.27), कि हमारी दशा उसके ध्यान से बचती नहीं है l ये शब्द आराम और आश्वासन लेकर आते हैं, और हमें परमेश्वर की असीम सामर्थ्य और अथाह ज्ञान याद दिलाते हैं (पद.28) l

पद 29-31 में वर्णित पुनःस्थापित ऊर्जा बिलकुल हमारे लिए है – चाहे हम अपने परिवार की देखभाल और उनके लिए प्रबंध करने की टीस में हैं, भौतिक अथवा आर्थिक बोझ के तले जीवन में संघर्ष कर रहे हैं, अथवा सम्बन्धात्मक तनावों  या आत्मिक चुनौतियों द्वारा निराश हैं l उनके लिए ऐसी ही यह सामर्थ्य है – पवित्र वचन पर चिंतन और प्रार्थना के द्वारा – प्रभु की बात जोहते रहें l