एक सुबह, मैं एक पारिवारिक-कमरे की खिड़की को थपथपाती हुयी निकली जहां से हमारे घर के पीछे का निर्जन-क्षेत्र दिखाई देता है l अक्सर, मैं एक बाज़ या एक उल्लू को किसी पेड़ पर बैठे हुए, उस क्षेत्र की निगरानी करते हुए देखती थी l एक सुबह मैं चकित हुयी जब मैंने एक बॉल्ड ईगल (एक ख़ास प्रजाति का चील) को एक ऊंची डाली पर निडरतापूर्वक संतुलित बैठे हुए, उस भू-भाग का अन्वेषण करती हुयी देखी मानो समूचा विस्तार उसी का था l कदाचित वह “नाश्ता” ढूँढ रहा था l उसका सम्पूर्ण ध्यान शानदार था l

2 इतिहास 16 में, हनानी भविष्यद्वक्ता (परमेश्वर का नबी) ने राजा को सूचित किया कि उसके कार्यों पर राजसी नज़र है l उसने यहूदा के राजा, आसा से कहा, “तू ने जो अपने परमेश्वर यहोवा पर भरोसा नहीं रखा वरन् आराम के राजा ही पर भरोसा रखा है” (पद.7) l तब हनानी ने समझाया, “देख यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिए फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपनी सामर्थ्य दिखाए” (पद.9) आसा के अनुपयुक्त भरोसे के कारण, वह हमेशा युद्ध करता रहेगा l

इन शब्दों को पढ़ते हुए, हमें यह गलत बोध हो सकता है कि परमेश्वर हमारे प्रत्येक गतिविधि पर ध्यान देता है कि वह शिकार करनेवाले एक पक्षी के समान हम पर झपट सकता है l किन्तु हनानी के शब्द सकारात्मक पर केन्द्रित हैं l उसका मकसद है कि हमारा परमेश्वर निरंतर हमपर ध्यान देता है और हमारे लिए इंतज़ार करता है कि हम उसे ज़रूरत पड़ने पर पुकारें l

मेरे पीछे के अहाते में उस बॉल्ड ईगल की तरह, हमें यह गलत बोध हो सकता है, किस प्रकार परमेश्वर की आँखें हमारे संसार में फिरती हैं – अभी भी –आप में और मुझ में विश्वासयोग्यता खोजती है? वह किस प्रकार हमारी ज़रूरत के अनुसार हमें आशा और मदद देगा?