केवल छः महीनों में जेरल्ड का जीवन टुकड़े-टुकड़े हो गया l एक आर्थिक संकट ने उसके कारोबार और धन-दौलत को बर्बाद कर दिया, जबकि एक दुखद दुर्घटना ने उसके पुत्र की जान ले ली l आघात से अभिभूत, उसकी माँ की हृदयाघात से मृत्यु हो गयी, उसकी पत्नी विषाद में चली गयी, और उसकी दो तरुण बेटियाँ शोकाकुल बनी रहीं l वह केवल भजनकार के शब्दों को दोहरा सका, “हे मेरे परमेश्वर, है मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?” (भजन 22:1) l

जेरल्ड को सँभालने वाली बात केवल वह आशा थी जो परमेश्वर, जिसने यीशु को पुनरुत्थित किया, एक दिन उसे और उसके परिवार को उनकी पीड़ा से निकालकर आनंदित अनंत जीवन में ले जाएगा l यह वह आशा थी कि परमेश्वर सहायता के लिए उसकी हताश पुकार का उत्तर देगा l भजनकार दाऊद की तरह, अपनी निराशा में, वह अपनी पीड़ा में परमेश्वर पर भरोसा करने का दृढ़ निश्चय किया l वह इस आशा में जीवित रहा कि परमेश्वर उसे छुड़ाएगा और उसे बचाएगा (पद.4-5) l

यह आशा जेरल्ड को थामे रही l वर्षों के बीतने पर, जब उससे हाल-चाल पूछा जाता था, वह केवल यह कह पाता था, “ठीक है, मैं परमेश्वर पर भरोसा कर रहा हूँ l”

परमेश्वर ने उस भरोसे का सम्मान किया, जिससे जेरल्ड को वर्षों तक चलते रहने के लिए सुख, सामर्थ्य, और साहस मिला l उसका परिवार धीरे-धीरे उस संकट से उभर सका, और जल्द ही जेरल्ड ने अपने पहले नाती के जन्म का स्वागत हुआ l वर्तमान में उसकी पुकार परमेश्वर की विश्वासयोग्यता की साक्षी है l “मैं अब निवेदन नहीं कर रहा हूँ, ‘तुमने मुझे क्यों छोड़ दिया?’ परमेश्वर ने मुझे आशीष दी है l”

जब ऐसा महसूस हो कि कुछ नहीं बचा है, आशा अभी भी बाकी है l