लीसा के मन में उनके लिए कोई सहानुभूति नहीं है जिन्होनें अपने जीवनसाथी ले साथ बेवफ़ाई की है . . . जबतक उसने अपने विवाह में गहरे असंतुष्टता का अनुभव नहीं किया और एक खतरनाक आकर्षण पर क़ाबू पाने की कोशिश करते हुए पाया l उस पीड़ादायक अनुभव ने उसे दूसरों के लिए नयी करुणा और मसीह के शब्दों की महान समझ प्राप्त करने में सहायता की : “तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे” (यूहन्ना 8:7) l

यीशु मंदिर के आँगन में शिक्षा दे रहे थे जब उन्होंने यह कथन कहा l व्यवस्था के कुछ शिक्षक और फरीसियों ने व्यभिचार में पकड़ी गयी एक महिला को खींचकर उसके सामने लाकर उन्हें चुनौती दी, “व्यवस्था में मूसा ने हमें आज्ञा दी है कि ऐसी स्त्रियों पर पथराव करें l अतः तू इस स्त्री के विषय में क्या कहता है?” (पद.5) l इसलिए कि वे यीशु को अपने अधिकार के प्रति एक खतरा मानते थे, उनका प्रश्न “उसपर दोष लगाने के लिए” एक “षड्यंत्र” था (पद.6) – और उससे पीछा छुड़ाने के लिए l

फिर भी जब यीशु ने उत्तर दिया, ““तुम में जो निष्पाप हो, वही पहले उसको पत्थर मारे . . .” उस महिला पर दोष लगानेवालों में से एक ने भी पत्थर उठाने की कोशिश नहीं की l वे एक एक करके, वहां से चले गए l

इससे पहले कि हम अपने पाप को हलके तौर पर देखते हुए किसी के आचरण का न्याय करें, याद रखें कि हम सब “परमेश्वर की महिमा से रहित है” (रोमियों 3:23) l दोष लगाने के बदले, हमारे उद्धारकर्ता ने इस महिला को – और आपको और मुझको –  अनुग्रह और आशा दिखा दी (यूहन्ना 3:16; 8:10-11) l हम कैसे दूसरों के साथ उसी प्रकार नहीं कर सकते हैं?