इंडोनेशिया के पासवानों के लिए एक बाइबल मार्गदर्शिका लिखते समय, मेरा एक लेखक मित्र उस देश के अपनापन की संस्कृति से मोहित हो गया l gotong royong – अर्थात् “आपसी सहायता” – इस मनोभाव का अभ्यास गाँवों में किया जाता है, जहां पड़ोसी मिलकर किसी की घर की छत मरम्मत करते हैं या एक पुल या पथ को पुनः बनाते हैं l मेरे मित्र ने कहा, शहरों में भी, “लोग किसी अन्य के साथ स्थानों पर जाते हैं – उदाहरण के लिए डॉक्टर से मिलने l यह संस्कृति का नियम है l इसलिए आप अकेले नहीं हैं l”

विश्वव्यापी तौर पर, यीशु के विश्वासी यह जानकार आनंदित होते हैं हम भी अकेले नहीं हैं l हमारा निरंतर और हमेशा साथ रहनेवाला सहयोगी त्रिएक परमेश्वर का तीसरा व्यक्ति, पवित्र आत्मा है l मसीह के हर एक अनुयायी को स्वर्गिक पिता के द्वारा एक वफादार मित्र से कही बढ़कर, परमेश्वर का आत्मा दिया गया है जो “सहायक [है और] सर्वदा . . . साथ [रहेगा]” (यूहन्ना 14:16) l

यीशु ने प्रतिज्ञा दी थी कि इस पृथ्वी पर उसका समय समाप्त होने के बाद परमेश्वर का आत्मा आएगा l “मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोड़ूंगा,” यीशु ने कहा था (पद.18) l इसके बदले, पवित्र आत्मा – “सत्य का आत्मा” जो “तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा” – हममें से हर एक में बसता है जो मसीह को अपना उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करता है (पद.17) l

पवित्र आत्मा हमारा सहायक, सांत्वना देनेवाला, प्रोत्साहन देनेवाला, और सलाहकार है – ऐसे संसार में सदा साथ रहनेवाला एक सहयोगी/सहचर जहाँ अकेलापन साथ रहनेवाले लोगों को भी पीड़ित कर सकता है l ऐसा हो कि हम भी उसके आराम देनेवाले प्रेम और सहायता में सर्वदा निवास करें l