साठ वर्षीय बेघर सेवानिवृत सैनिक, स्टीव, गर्म मौसम वाले स्थान पर चला गया जहां पूरे साल खुले आसमान के नीचे सोना(विश्राम करना) बर्दास्त करने लायक था l एक शाम के समय, जब वह हाथ की बनाई हुई अपनी कला को प्रदर्शित कर रहा था – अपने प्रयास से कुछ पैसे कमाने के लिए – एक युवा स्त्री ने आगे आकर उसे पिज़्ज़ा के कुछ टुकड़े ऑफर किये l स्टीव ने धन्यवाद के साथ उसे स्वीकार कर लिया l कुछ क्षण बाद, स्टीव ने अपनी उदारता एक दूसरे भूखे, बेघर व्यक्ति के साथ साझा किया l लगभग तुरंत ही, उसी युवा स्त्री ने भोजन का एक और थाली लेकर आई, यह मानते हुए कि वह जो उसे मिला था के साथ बहुत ही उदार था l
स्टीव की कहानी नीतिवचन 11:25 के सिद्धांत का वर्णन करती है कि जब हम दूसरों के साथ उदार हैं, हम भी कदाचित उदारता का अनुभव करेंगे l लेकिन हम वापस पाने की आशा से न दें; कभीकभार ही हमारी उदारता हमारे पास लौटती है और स्पष्तः जिस प्रकार उसके साथ हुआ l इसके बदले, हम परमेश्वर के निर्देश के प्रेममय प्रतिउत्तर में देकर दूसरों की मदद करते हैं (फिलिप्पियों 2:3-4; 1 यूहन्ना 3:17) l और जब हम ऐसा करते हैं, परमेश्वर प्रसन्न होता है l यद्यपि वह हमारी झोली या पेट को भरने के लिए बाध्य नहीं है, वह अक्सर हमें तरोताज़ा करने के लिए तरीके ढूढ़ता है – कभी-कभी भौतिक रूप से, और दूसरे समयों में आत्मिक रूप से l
स्टीव ने पिज़्ज़ा की अपनी दूसरी थाली भी मुस्कराहट और खुले हाथों के साथ साझा किया l अपने संसाधन की कमी के बावजूद, वह उदारतापूर्वक जीने का क्या अर्थ है का एक नमूना है, अपने लिए संग्रह करके रखने के विपरीत जो हमारे पास है उसे आनंद के साथ साझा करने की इच्छा l जैसे परमेश्वर हमारी अगुवाई करता है और सामर्थ्य देता है, वैसा ही हमारे विषय भी कहा जाए l
जो कुछ परमेश्वर ने हमें दिया है हम उसके साथ उदार हो सकते हैं l