थॉमस को मालूम था उसे क्या करना था? भारत में एक निर्धन परिवार में जन्म लिया और अमरीकियों द्वारा गोद लिया गया, और भारत लौटने पर उसने अपने ही गृह शहर के बच्चों को खौफ़नाक स्थिति में देखा l इसलिए वह जान गया उसे सहायता करनी होगी l वह अमरीका लौटकर, अपनी शिक्षा समाप्त करके, ढेर सारा पैसा जमा करके, भविष्य में भारत लौटने की योजना बनाने लगा l
उसके बाद, याकूब 2:14-18 पढ़ने के बाद जिसमें प्रेरित प्रश्न करता है, “यदि कोई कहे कि मुझे विश्वास है पर वह कर्म न करता हो, तो इससे क्या लाभ?” थॉमस ने अपने मातृभूमि में एक छोटी लड़की को उसने अपनी माँ से चीखते सुना : “परन्तु माँ, मैं तो अभी भूखी हूँ!” उसने उन दिनों को याद किया जब वह भी बचपन में बहुत ही भूखा था – कूड़ेदानों में भोजन ढूढ़ता था l थॉमस ने सहायता करने के लिए वर्षों तक इंतज़ार नहीं कर सकता था l उसने निर्णय किया, “मैं अभी सहायता करना आरंभ करूँगा!!”
वर्तमान में इस अनाथालय में जिसे उन्होंने आरंभ किया था पचास बच्चे हैं जिन्हें भरपूर भोजन मिलता है और उनकी उचित देखभाल की जाती है और वे यीशु के बारे में सीखते हैं और शिक्षा भी प्राप्त कर रहे हैं – यह सब इसलिए क्योंकि एक व्यक्ति ने समझ लिया कि परमेश्वर उन्हें क्या करने को बुला रहा है और वह इस काम को टाल नहीं सकता है l
याकूब का सन्देश हम सब पर लागू होता है l यीशु मसीह में हमारा विश्वास हमें बहुत लाभ देता है – उसके साथ एक सम्बन्ध, बहुतायत का जीवन, और भविष्य की एक आशा l परन्तु इसका कुछ भी लाभ नहीं यदि हम आगे बढ़कर ज़रुरतमंदों की मदद नहीं करते हैं? क्या आप उस चीख को सुन रहे हैं : “मैं तो अभी भूखा हूँ!”
हे परमेश्वर, हमारे क़दमों को ऐसे कामों की ओर मार्गदर्शित करें, जिसके द्वारा आप मुझे किसी ज़रूरतमंद की मदद करना चाहते हैं l इस संसार में आपके काम में भागदारी करने की अनुमति देने के लिए आपको धन्यवाद l