मेरे तीन वर्ष के पोते का दिन खराब ढंग से शुरू हुआ l वह अपना पसंदीदा शर्ट ढूढ़ नहीं पा रहा था l जूते जो वह पहनना चाहता था बहुत ही भड़कीला था l वह अपनी दादी से परेशान और उनपर क्रोधित होने के बाद बैठकर रोने लगा l

“तुम इतना परेशान क्यों हो?” मैंने पूछा l हम थोड़े समय तक बाते करते रहे और उसके शांत होने के बाद, मैंने कोमलता से पूछा, “क्या तुम अपनी दादी के लिए अच्छे रहे हो?” वह विचारपूर्वक अपने जुते की ओर देखकर उत्तर दिया, “नहीं, मैं बुरा था, मुझे क्षमा करें l”

मेरा दिल उसके पक्ष में गया l अपने किये का इनकार करने की बजाए, वह ईमानदार था l आनेवाले क्षणों में हम यीशु से क्षमा और बेहतर करने के लिए सहायता मांगे l

यशायाह 1 में, परमेश्वर उन गलतियों के लिए अपने लोगों का सामना करता है जो उन्होंने की थीं l रिश्वत और अन्याय अदालतों में व्याप्त था, और अनाथों और विधवाओं से भौतिक लाभ उठाया जाता था l फिर भी परमेश्वर करुणा से प्रतियुत्तर देकर, यहूदा के लोगों से अपनी गलती मानकर उससे फिरने को कहता है : “आओ हम आपस में वादविवाद करें : तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों तौभी वे हिम के समान उजले हो जाएँगे” (यशायाह 1:18) l

परमेश्वर हमसे चाहता है कि हम अपने पापों के विषय उसके सामने खुले हुए हों l वह प्यार से क्षमा के साथ ईमानदारी और पश्चाताप की ज़रूरत पूरा करता है : “यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है” (1 यूहन्ना 1:9) l इसलिए कि हमारा परमेश्वर करुनामय है, नयी शुरुआत हमारा इंतज़ार कर रही है!