एक दक्षिण अफ़्रीकी आखेट निरीक्षक, गाइल्स केल्मैनसन, एक अविश्वसनीय दृश्य का वर्णन करता है : दो बिज्जू (Honey badgers) छः शेरों के समूह का सामना कर रहे थे l संख्या में कम होने के बावजूद, बिज्जू हिंसक परभक्षी शरों से पीछे नहीं हटे जो उनसे आकर में दस गुना बड़े थे l शेरों ने सोचा था शिकार आसान होगा, परन्तु विडिओ फुटेज में बिज्जू कुछ चीज़ को लेकर इठलाते हुए जाते दिखायी दिए l 

दाऊद और गोलियात इससे भी अधिक असम्भव कहानी पेश करते हैं l युवा, अनुभवहीन दाऊद भयंकर पलिस्ती गोलियात का सामना करता हैं l इस युवा योद्धा से अत्यंत प्रचंड, गोलियात के पास शारीरिक शक्ति और बेमिसाल हथियार थे – काँस्य का कवच और घातक, धारदार बरची/भाला (1 शमूएल 17:5-6) l दाऊद, एक अनुभवहीन चरवाहा, के पास केवल एक गोफन था जब वह अपने भाइयों के लिए रोटी और पनीर की टिकियाँ लेकर युद्ध के मैदान में पहुँचा (पद.17-18) l

गोलियात ने इस्राएल को लड़ने के लिए ललकारा, परन्तु कोई भी लड़ने के लिए तैयार नहीं था l राजा शाऊल और “और समस्त [इस्राएली] . . . अत्यंत डर गए” (पद.11) l उस दहशत की कल्पना करें जब दाऊद युद्ध में शामिल हुआ l किस ने उसे वह साहस दीया जो किसी भी इस्राएली योद्धा के पास नहीं था? ज्यादातर सभी के लिए, गोलियात उनकी सोच पर हावी था l हालांकि, दाऊद ने परमेश्वर को देखा l वह दृढ़ता से बोला, “यहोवा [गोलियात] को मेरे हाथ में कर देगा” (पद.46) l जबकि बाकी सभी लोग को भरोसा था कि इस कहानी पर गोलियात का नियंत्रण था, उसका विश्वास था कि परमेश्वर अधिक सामर्थी है l और, दाऊद उस भीमकाय व्यक्ति के माथे पर पत्थर से ऐसा मारा कि वह भीतर घुस गया l इस तरह दाऊद का विश्वास सच्चा साबित हुआ l

हमारे पास यह विश्वास करने की परीक्षा आती है कि “गोलियात” (हमारी परेशानियां) कहानी को संचालित करती हैं l परन्तु, परमेश्वर सामर्थी है l वह हमारे जीवनों की कहानी पर प्रभुत्व करता है l