मेरे सास के हृदयाघात के बाद के चिंताजनक क्षणों में, वह त्वरित चिकित्सीय देखभाल प्राप्त करने में भाग्यशाली थी l बाद में, उनके डॉक्टर ने मुझे से कहा कि गंभीर हृदयाघात रोगियों का इलाज पंद्रह मिनट के भीतर होने पर 33 फीसदी लोग बच जाते हैं l परन्तु इस समय सीमा के बाहर इलाज पानेवाले केवल 5 फीसदी ही बच पाते हैं l

याईर की गंभीर रूप से बीमार बेटी (जिसे त्वरित चिकित्सीय देखभाल की ज़रूरत थी) को चंगाई देने जा रहे यीशु ने अकल्पनीय कार्य किया : वह ठहर गया (मरकुस 5:30) l उसने रुककर जानना चाहा किसने उसे छुआ था, और तब उस स्त्री से कोमलता से बात की l आप कल्पना कर सकते हैं कि याईर क्या सोच रहा था : इस के लिए समय नहीं है, मेरी बेटी मरनेवाली है! और तब, उसका सबसे बड़ा डर सच साबित हुआ – यीशु ने बहुत देर कर दिया था और उसकी बेटी की मृत्यु हो गयी (पद.35) l

परन्तु यीशु याईर की ओर मुड़कर उससे उत्साह के शब्द कहे : “मत डर; किवल विश्वास रख” (पद. 36) l तब, तमाशबीनों के उपहास को शांति से अनदेखा करके, मसीह ने याईर की बेटी से बोला और वह जीवित हो गयी! उसने प्रगट किया कि वह कभी भी अति विलंबित नहीं हो सकता है l जो वह कर सकता है और जब वह करता है समय उसको सीमित नहीं कर सकता है l

कितनी बार हम भी याईर की तरह अनुभव करते हैं, जो हम करने की आशा रखते थे उसमें परमेश्वर ने यूँ ही विलम्ब कर दिया l किन्तु परमेश्वर के साथ, ऐसी कोई बात नहीं है l वह हमारे जीवनों में अपना अच्छा और करुणामय कार्य पूरी करने में कभी देर नहीं करता है l