1948 में एक दिन बहुत सुबह के समय जब दरवाजे की घंटी बजी हारालेन पोपोव (एक प्रोटेस्टेंट पादरी) को यह पता नहीं था कि उसका जीवन कौन सा मोड़ लेने वाला था l बगैर किसी चेतावनी के, बल्गेरियाई पुलिस ने हारालेन को उसके विश्वास के कारण जेल में डाल दिया l वह अगले तेरह वर्षों तक जेल में रहा, और सामर्थ्य और साहस के लिए प्रार्थना करता रहा l भयंकर बर्ताव के बाद भी, उसे मालूम था कि परमेश्वर उसके साथ है, और उसने अपने सह कैदियों के साथ यीशु का सुसमाचार बांटा – और बहुतों ने विश्वास किया l

उत्पत्ति 27 से इस वर्णन में, यूसुफ को पता नहीं था कि उसके साथ क्या होने वाला था जब उसके क्रोधित भाइयों ने बेरहमी से उसे व्यपारियों के हाथ बेच दिया जिन्होनें उसे मिस्र ले जाकर एक मिस्री अधिकारी, पोतीपर के हाथ बेच दिया l उसने खुद को एक ऐसी संस्कृति में पाया जहाँ लोग हजारों देवताओं में विश्वास करते थे l स्थिति को और बदतर बनाने के लिए, पोतीपर की पत्नी ने यूसुफ को पथभ्रष्ट करना चाहा l यूसुफ के बार-बार इनकार करने पर, उसने उसपर झूठे दोष लगाकर, उसे कैदखाने में भेजवा दिया (39:16-20) l फिर भी परमेश्वर ने उसको नहीं त्यागा l वह केवल उसके साथ ही नहीं रहा, परन्तु “जो काम वह करता [था] उसको यहोवा उसके हाथ से सफल कर देता [था]” और “उस पर करुणा की” और “बंदीगृह के दारोगा के अनुग्रह की दृष्टि उस पर हुई” (39:3,21) l

उस डर की कल्पना करें जो यूसुफ ने अनुभव किया l परन्तु वह विश्वासयोग्य रहा और अपनी ईमानदारी बरकरार रखी l परमेश्वर यूसुफ की कठिन यात्रा में उसके साथ था और उसके लिए एक मास्टर प्लान(मुख्य योजना) रखा था l उसके मन में आपके लिए भी एक योजना है l हिम्मत बांधें और विश्वास में चलें, यह भरोसा करते हुए कि वह देखता है और वह जानता है l