बचपन में उसने अपने माता-पिता को निन्दीय शब्द कहे थे l वह नहीं जानती थी कि वे शब्द उनके साथ उसका अंतिम संवाद होगा l इस समय, वर्षों की सलाह के बाद, वह अपने को माफ़ नहीं कर पा रही है l दोष भावना और पछतावा उसके जीवन को पंगु बना दिए हैं l
हम सब दोष भावना के साथ जीते हैं – उनमें से कुछ बहुत भयानक हैं l परन्तु बाइबल हमें दोष से निकलने का एक मार्ग बताती है l आइए हम एक उदाहरण देखें l
जो राजा दाऊद ने किया उसपर चाशनी नहीं लगी हुयी है l यह वह समय था जब “राजा लोग युद्ध करने को निकला करते [थे]” परन्तु “दाऊद यरूशलेम में रह गया” (2 शमूएल 11:1) l युद्ध से दूर, उसने दूसरे व्यक्ति की पत्नी को चुराया और हत्या के द्वारा इस कृत्य को छिपाने की कोशिश की (पद.2-5, 14-15) l परमेश्वर ने दाऊद के अधोमुखी पतन को रोक दिया (12:1-13), परन्तु राजा अपने पाप के बोध के साथ अपना बाकी जीवन जीने वाला था l
जब दाऊद राख से उठ रहा था, उसका सेनापति, योआब उस युद्द को जीत रहा था जिसका नेत्रित्व दाऊद को करना चाहिए था (12:26) l योआब ने दाऊद को चुनौती दी, “अब रहे हुए लोगों को इकठ्ठा करके नगर के विरुद्ध छावनी डालकर उसे भी ले ले”(पद.28) l दाऊद आख़िरकार परमेश्वर द्वारा नियुक्त स्थान राष्ट्र और अपनी सेना का अगुवा बन गया (पद.29) l
हम अपने अतीत को हमें कुचलने देकर, परिणामस्वरूप परमेश्वर से कह रहे होते हैं कि उसका अनुग्रह पर्याप्त नहीं है l हमने क्या किया है की बजाए, हमारा पिता हमें अपनी सम्पूर्ण क्षमा देता है l दाऊद की तरह, हम भी युद्ध में पुनः वापसी के लिए प्रयाप्त अनुग्रह प्राप्त कर सकते हैं l
हमारे पाप हमें परिभाषित नहीं करते हैं, परमेश्वर का प्रेम करता है l