1892 में एलिस द्वीप से होकर अमेरिका में प्रवेश करनेवाली पहली प्रवासी नागरिक, ऐनी मूर एक नए घर और एक नया आरम्भ के विचार पर अविश्वसनीय उत्तेजना महसूस की होगी l बाद में उस स्थान से लाखों लोग जाने वाले थे l मात्र एक किशोरी, ऐनी एक नए जीवन का आरम्भ करने के लिए आयरलैंड के कठिन जीवन को पीछे छोड़ चुकी थी l अपने हाथ में केवल एक छोटा बैग लेकर, वह ढेर सारे सपने, आशा, और अपेक्षाएँ लेकर अवसर के एक देश में आई थी l

कितना अधिक उत्तेजना और आश्चर्य परमेश्वर के बच्चे अनुभव करेंगे जब हम “नए आकाश और नयी पृथ्वी” को देखेंगे (प्रकाशितवाक्य 21:1) l हम उसमें प्रवेश करेंगे जिसे प्रकाशितवाक्य की पुस्तक “पवित्र नगर , [नया] यरूशलेम” कहती है (पद.2) l प्रेरित युहन्ना इस अद्भुत स्थान का वर्णन प्रभावशाली अलंकृत भाषा के साथ करता है l वहां पर “बिल्लौर की सी झलकती हुयी, जीवन के जल की नदी [दिखाई देगी], जो परमेश्वर और मेम्ने के सिंहासन से [बहती होगी] (22:1) l जल जीवन और बहुतायत का प्रतीक है, और उसका श्रोत स्वयं अनंत परमेश्वर होगा l युहन्ना कहता है कि “फिर श्राप न होगा” (पद.3) l वह सुन्दर, पवित्र सम्बन्ध जो परमेश्वर मनुष्यों और खुद के बीच चाहता है पूरी तौर से पुनःस्थापित हो जाएगा l

यह जानना कितना अविश्वसनीय है कि परमेश्वर, अपने बच्चों से प्रेम करता है और उन्हें अपने पुत्र के जीवन द्वारा खरीद लिया है, एक अद्भुत नया घर तैयार कर रहा है – जहां पर वह खुद हमारे साथ निवास करेगा और हमारा परमेश्वर होगा (21:3) l