“आपको आराम करना होगा,” चिकित्सक कठोरता से डिज़नी के रेस्क्यूवर्स डाउन अंडर (साहसिक एनिमेटेड फिल्म) में एक अनिच्छुक घायल मरीज़ एल्बेट्रोस(एक बड़ा समुद्री पक्षी) विल्बर से कहता है l “आराम करूँ? मैं आरामदेह हूँ!” स्पष्ट रूप से आरामदेह नहीं दिखाई देनेवाला विल्बर, जैसे-जैसे उसकी घबराहट बढ़ती है वह व्यंगात्मक रूप से प्रतिउत्तर देता है l “यदि मैं और अधिक आरामदेह होऊंगा, मैं मर जाऊँगा!”

क्या आप वर्णन कर सकते हैं? चिकित्सक के संदेहात्मक तरीकों (आरा की मदद से “चर्म उत्तक नष्ट करना”) के प्रकाश में, विल्बर की आशंका उचित दिखाई दे रही थी l किन्तु दृश्य हास्यास्पद है क्योंकि इसमें हमारी घबराहट के समय की भावनाएँ प्रगट हैं – चाहे या नहीं जिसका हम सामना करते हैं वह वास्तव में खतरनाक है l

जब हम डरे होते हैं, आराम करने का बढ़ावा मूर्खतापूर्ण महसूस होता है l मैं जानता हूँ जब मैं जीवन के भय को अपने चारों ओर बढ़ते हुए महसूस करता हूँ, और जब पीड़ादायक “मृत्यु की रस्सियाँ” (भजन 116:3) मेरे पेट को गाठों की तरह बाँध देती हैं, मेरा हर एक सहज-ज्ञान उससे लड़ने को प्रवृत करता है न कि आराम करने को l

और इसके बावजूद . . . नहीं की अपेक्षा ज़्यादातर, घबराहट में लड़ने के मेरे प्रयास घबराहट की बुरी-पकड़ को केवल जकड़कर, मुझे भय से पंगु बना देती हैं l परन्तु जब मैं, अगरचे हिचकिचाते हुए, पीड़ा महसूस करते हुए उसे परमेश्वर के पास ले जाता हूँ (पद.4), कुछ आश्चर्यजनक होता है l मेरे अन्दर का गाँठ थोड़ा ढीला पड़ जाता है (पद.7), और मेरी समझ से परे एक शांति मेरे अन्दर दौड़ जाती है l

और जब आत्मा की आराम देनेवाली उपस्थिति मुझे घेर लेती है, मैं सुसमाचार की वास्तविक सच्चाई को और अधिक समझ पाता हूँ : कि हम श्रेष्ठ तरीके से तब लड़ते हैं जब हम परमेश्वर की सामर्थी बाहों में खुद को समर्पित कर देते हैं (1 पतरस 5:6-7) l