“ऐसा महसूस होता है जैसे मैं जितना वृद्ध होता जाता हूँ, तुम उतना ही बुद्धिमान होते जाते हो l कभी-कभी जब मैं अपने बेटे से बात करता हूँ मैं अपने मुँह से आपके शब्द निकलते हुए सुनता हूँ!”

मेरी बेटी की स्पष्टवादिता ने मुझे हँसाया l मैंने अपने माता-पिता के विषय उसी प्रकार महसूस किया और अपने बच्चों के परवरिश में अक्सर खुद को उनके शब्दों का उपयोग करते हुए पाया l जिसे मैंने किसी समय मुर्खता मानकर “ख़ारिज कर दिया था मेरे विचार में वे उससे भी अधिक बुद्धिमान साबित हुए – बस मैं पहले उसे पहचान नहीं पाया था l

बाइबल सिखाती है कि “परमेश्वर की मुर्खता” निपुण मानवीय बुद्धिमत्ता “से ज्ञानवान है” (1 कुरिन्थियों 1:25) l “जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना, तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा कि” अत्यंत दुखी उद्धारकर्ता के “इस प्रचार की मुर्खता के द्वारा विश्वास करनेवालों को उद्धार दे” (पद.21) l

परमेश्वर के पास हमेशा हमें चकित करने के तरीके हैं l संसार द्वारा विजयी राजा की अपेक्षा करने के स्थान पर, परमेश्वर का पुत्र दुखी सेवक के रूप में आकर क्रूस पर विनम्र मृत्यु सही – इससे पहले कि वह सर्वोत्कृष्ट महिमा में जी उठे l

परमेश्वर की बुद्धिमत्ता में, दीनता का महत्त्व घमण्ड से ऊपर है और करुणा और दया में होकर जिसके हम योग्य नहीं थे प्रेम अपना महत्त्व दर्शाता है l क्रूस के द्वारा, हमारा अजेय उद्धारकर्ता सर्वश्रेष्ठ बलिदान बन गया – जिससे उसमें विश्वास करनेवाले सभी का “पूरा पूरा उद्धार” (इब्रानियों 7:25) कर सके!