स्वामित्व
1900 के आरंभिक काल में, द पैकर्ड मोटर कंपनी ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए एक स्लोगन “उस व्यक्ति से पूछो जिसके पास स्वामित्व है,” बनाया जो प्रभावशाली प्रचार वाक्य बन गया, और उस युग की प्रभावशाली लक्ज़री गाड़ी बनानेवाली कंपनी की प्रसिद्धि में योगदान दिया l पैकर्ड को प्रतीत हुआ कि सुननेवाले के लिए व्यक्तिगत साक्षी सम्मोहक है : किसी उत्पाद के साथ एक मित्र की तसल्ली एक शक्तिशाली अनुमोदन है l
हमारे प्रति परमेश्वर की भलाई का व्यक्तिगत अनुभव दूसरों के साथ साझा करना भी प्रभाव डालता है l परमेश्वर हमें हमारे धन्यवाद और आनंद को केवल उसके समक्ष प्रगट करने के लिए नहीं परन्तु अपने चारों ओर के लोगों के सामने घोषित करने के लिए आमंत्रित करता है (भजन 66:1) l भजनकार अपने पापों से फिरने के बाद उत्सुकता से अपने गीत में परमेश्वर द्वारा उसे दी गयी क्षमा को साझा किया (पद.18-20) l
परमेश्वर ने इतिहास में अद्भुत काम किये हैं, जैसे लाल समुद्र को दो भाग करना (पद.6) l वह हमारे हर एक के व्यक्तिगत जीवनों में अद्भुत कार्य करता है : पीड़ा में हमें आशा देता है, उसके वचन को समझने के लिए पवित्र आत्मा देता है, और हमारे दैनिक ज़रूरतों को पूरा करता है l जब हम अपने जीवनों में परमेश्वर के कार्य का व्यक्तिगत अनुभव दूसरों के साथ साझा करते हैं, हम किसी ख़ास खरीद की एक अनुमोदन से कही अधिक बड़ा महत्त्व देते हैं – हम जीवन यात्रा में परमेश्वर की भलाई और परस्पर प्रोत्साहन को स्वीकार कर रहे होते हैं l
प्रेम या पैसे के लिए
आयरिश कवि ऑस्कर वाइल्ड ने कहा, “जब मैं जवान था मैं सोचता था कि पैसा जीवन में सबसे महत्वपूर्ण वस्तु थी; अब जब कि मैं बूढ़ा हो गया हूँ मैं जानता हूँ कि वह है l” उसकी टिप्पणी मज़ाक बन गयी, वह छियालीस वर्ष की उम्र तक जीवित रहा, इसलिए वास्तव में वह “बूढ़ा” हुआ ही नहीं l वाइल्ड ने पूरी तरह समझ लिया कि जीवन पैसे के विषय नहीं है l
पैसा अस्थायी है; वह आता है और वह चला जाता है l इसलिए जीवन अवश्य ही पैसे से और जो पैसा खरीद सकता है से अधिक होगा l यीशु ने अपनी पीढ़ी के लोगों – धनी और निर्धन दोनों ही को –एक पुनः जांची हुए उपयोगिता पद्धति के प्रति चुनौती दी l लूका 12:15 में यीशु ने कहा, “चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो; क्योंकि किसी का जीवन उसकी संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता l” हमारी संस्कृति में, जहाँ और अधिक और नया और बेहतर की ओर स्थायी ध्यान है, संतोष के लिए और पैसा और सम्पति के विषय हमारा दृष्टिकोण क्या है, दोनों ही के लिए कुछ कहा जाना चाहिए l
यीशु से मुलाकात करके, एक जवान धनी व्यक्ति उदास होकर चला गया क्योंकि उसके पास बहुत अधिक सम्पति थी जिसे वह छोड़ना नहीं चाहता था (देखें लूका 18:18-25), परन्तु कर अधिकारी जक्कई अधिकाधिक सम्पति/पैसा त्याग दिया जिसे उसने इकठ्ठा करने में अपना जीवन लगाया था (लूका 19:8) l मसीह के हृदय को गले से लगाना ही अंतर है l उसके अनुग्रह में, हम अपने अधिकार में की वस्तुओं के प्रति एक स्वस्थ दृष्टिकोण रख सकते हैं – ताकि वे हम पर नियंत्रण करनेवाली वस्तुएँ न बन जाएँ l
कचरा से धन तक
बोगोटा के एक गरीब पड़ोस में एक ऊंची सड़क पर कबाड़ी का घर है l उसके विषय एक भी चीज़ विशेष नहीं है l फिर भी कोलोम्बिया की राजधानी में यह विनम्र मकान 25,000 पुस्तकों की एक मुफ्त पुस्तकालय है – अनावश्यक साहित्य जिसे जोस अल्बर्टो गुटीरेज़ ने अपने समुदाय के निर्धन बच्चों के साथ साझा करने के लिए इकठ्ठा किया है l
साप्ताहिक “पुस्तकालय समय” में स्थानीय बच्चे इस घर में इकठ्ठा होते हैं l हर एक कमरे में जाकर, जो पुस्तकों से भरे हुए हैं, बच्चे इस विनम्र घर को आदरणीय जोस के घर से अधिक मानते हैं – यह एक अमूल्य खज़ाना है l
मसीह के प्रत्येक विश्वासी के लिए भी यह सच है l हम सादी मिटटी से रचे गए हैं – जिसमें दोष/दरारें हैं और आसानी से टूट जाते हैं l परन्तु हम परमेश्वर के निवास हैं जिसमें समर्थ करनेवाला आत्मा रहता है, जो हमें दुखित, टूटे संसार में मसीह का सुसमाचार ले जाने के योग्य बनता है l यह साधारण, निर्बल लोगों के लिए बड़ा उत्तरदायित्व है l
“हमारे पास वह धन मिटटी के बरतनों में रखा है कि यह असीम सामर्थ्य हमारी ओर से नहीं, वरन् परमेश्वर ही की ओर से ठहरे” (2 कुरिन्थियों 4:7), प्रेरित पौलुस ने प्राचीन शहर कुरिन्थुस में अपनी मंडली से कहा l वे लोग अलग-अलग समुदाय से और उस क्षेत्र के अलग-अलग हिस्से से थे, इसलिए पौलुस ने कहा, कि शायद उनमें से अनेक “अपने विषय . . . प्रचार करने” की परीक्षा में पड़े होंगे” (पद.5) l
इसके बदले, पौलुस ने कहा, उस अमूल्य व्यक्ति के विषय दूसरों को बताएं जो हमारे अन्दर रहता है l यह वही है और उसकी श्रेष्ठ सामर्थ्य है जो साधारण जीवनों को अमूल्य धन में परिवर्तित कर देता है l
बुलडॉग और फव्वारा
ज्यादातर गर्मियों की सुबह में, हमारे घर के पीछे पार्क में एक दिलचस्प नाटक दिखाई देता है l इसमें एक फव्वारा शामिल है l और एक बुलडॉग l लगभग 6.30 बजे, फव्वारे चालू हो जाते हैं l उसके थोड़े समय बाद, बुलडॉग फिफि(हमारे परिवार द्वारा दिया गया नाम) वहां आ जाती है l
फिफि का मालिक उसका पट्टा खोल देता है l बुलडॉग अपनी पूरी ताकत से निकटतम फव्वारे की ओर दौड़ती है, पानी के धार पर आक्रमण करती है जब वह उसके चेहरे को भिगोता है l यदि फिफि उस फव्वारे को खा पाती, मेरी समझ से वह उसे खा लेती l यह उल्लास का निरा चित्र है उस द्रव्य द्वारा पूरी तौर से भीगने की फिफि की कदाचित अनंत इच्छा जिसे वह इच्छा भर नहीं प्राप्त कर सकती है l
बाइबल में बुलडॉग, या फव्वारे नहीं हैं l फिर भी, एक तरीके से, इफिसियों 3 में पौलुस की प्रार्थना मुझे फिफि की याद दिलाती है l वहां पर, पौलुस प्रार्थना करता है कि इफिसुस के विश्वासी परमेश्वर के प्रेम से भर जाएं और “सब पवित्र लोगों के साथ भली-बहती समझने की शक्ति [पाएं] कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊँचाई, और गहराई कितनी हैं, और मसीह के उस प्रेम को जान [सकें] जो ज्ञान से परे है l” उसकी प्रार्थना थी कि हम “परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण [हो जाएं]” (पद.18-19) l
आज भी, हम एक ऐसे परमेश्वर को अनुभव करने के लिए आमंत्रित किये जाते हैं जिसका अनंत प्रेम हमारी सम्पूर्ण समझ से परे है, ताकि हम भी पूरी रीति से भीग जाएं, संतृप्त हो जाएं, और उसकी भलाई से बिलकुल संतुष्ट हो जाएं l हम बेफिक्री, उत्साह, और ख़ुशी से उसके साथ सम्बन्ध में गोता लगाने के लिए स्वतंत्र है केवल वही हमारे हृदयों और जीवनों को अपने प्रेम, अर्थ, और उद्देश्य से भर सकता है l