पार्क के गाइड का अनुसरण करते हुए, मैंने कुछ नोट्स लिख लिए जब वह बहामा के अतिप्राचीन जंगल के वनस्पतियों के विषय बता रहा था l उसने हमें बताया कि किन पेड़ों से दूर रहना था l उसने कहा, “जहरली लकड़ी वाले पेड़ से काला रस निकलता है जिससे दर्द करनेवाली खुजली हो जाती है l परन्तु चिंता की कोई बात नहीं है! उसका इलाज उसी के निकट वाले पौधे में है l उसने बताया, “गोंध वाले धूप/धूना के पेड़ के लाल छाल को काटकर  उसके रस को खुजली पर मल दीजिए l वह तुरंत ठीक होना शुरू हो जाएगा l”

आश्चर्य से मेरी पेंसिल गिरने से बची l मैंने उस जंगल में उद्धार की तस्वीर पाने की आशा नहीं की थी l परन्तु मैंने गोंध वाले धूप के पेड़ में यीशु को देखा l जहां भी पाप का जहर पाया जाता है वह सहज उपाए है l उस पेड़ के लाल छाल की तरह, यीशु का लहू चंगाई देता है l

नबी यशायाह समझ गया था कि मानवता को चंगाई की ज़रूरत थी l पाप की खुजली ने हमें प्रभावित की थी l यशायाह ने प्रतिज्ञा की कि हमारी चंगाई “उस दुखी पुरुष” की ओर से आने वाली थी जो हमारी दुखों को अपने ऊपर ले लेगा (यशायाह 53:3) l वह व्यक्ति यीशु था l हम बीमार थे, परन्तु मसीह हमारे बदले घायल होने को तैयार था l जब हम उस पर विश्वास करते हैं, हम पाप की बीमारी से चंगाई पाते हैं (पद.5) l जो चंगाई प्राप्त कर चुके हैं उनके समान जीना सीखने में पूरा जीवन लग सकता है अर्थात् अपने पापों को पहचानकर अपने नए मनुष्त्व के पक्ष में उनको अस्वीकार करना – परन्तु यीशु के कारण, हम कर सकते हैं l