टोक्यो के शिबुया ट्रेन स्टेशन के बाहर अकिता प्रजाति का कुत्ता हचिको की मूर्ति है l हचिको को याद किया जाता है क्योंकि वह अपने मालिक, विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के प्रति असाधारण रूप से विश्वासयोग्य था जो उस स्टेशन से प्रतिदिन आना-जाना करते थे l कुत्ता प्रति सुबह उनको ट्रेन स्टेशन छोड़ने जाता था और प्रति दोपहर को ट्रेन आने पर वापस उन्हें लाने जाता था l
एक दिन प्रोफेसर ट्रेन स्टेशन नहीं लौटे; दुर्भाग्यवश, काम के दौरान उनकी मृत्यु हो गयी l परन्तु हचिको अपना बाकी जीवन – नौ वर्ष से अधिक – दोपहर के ट्रेन के समय प्रतिदिन आता रहा l दिन प्रति दिन, मौसम का परवाह किये बिना, वह कुत्ता विश्वासयोग्यता से अपने मालिक के लौटने का इंतज़ार करता रहा l
पौलुस ने थिस्सलुनीकियों के “विशवास के काम,” “प्रेम का परिश्रम,” और प्रभु यीशु मसीह में आशा की धीरता” (1 थिस्सलुनीकियों 1:3) का उल्लेख करते हुए उनकी विश्वासयोग्यता के लिए उनको सराहा l कठोर विरोध के बावजूद, उन्होंने “जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा [करने] , और उसके पुत्र के स्वर्ग पर से आने की बाट जोहते [रहने] के लिए अपने पुराने तौर-तरीकों को छोड़ा दिया (पद.9-10) l
ये आरंभिक विश्वासियों का उद्धारकर्ता में उनकी अत्यावश्यक आशा और उनके लिए उसका प्रेम उनको उनकी कठिनाइयों से परे प्रेरित करके उन्हें अपने विश्वास को उत्साहपूर्वक बांटने के लिए प्रेरित किया l वे इस बात से आश्वस्त थे कि यीशु के लिए जीवन जीने से बेहतर और कुछ भी नहीं है l यह जानना कितना अच्छा है कि वही पवित्र आत्मा जिसने उनको उत्साहित किया (पद.5) आज भी यीशु के आने की बाट जोहते हुए उसकी सेवा करने के लिए समर्थ करता है l
खुबसूरत उद्धारकर्ता, कृपया “हियाव [बाँध कर[ और . . . हृदय दृढ [रखते हुए] आपकी बाट जोहने में मेरी मदद करें! (भजन 27:14) l