जब मैं लन्दन की टेट मॉडर्न गैलरी(दीर्घा) का भ्रमण कर रहा था, तो कला के एक भाग ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा l ब्राज़ील के कलाकार सिल्डो मेयिरलेस द्वारा बनाया गया, यह सैंकड़ो पुराने रेडियो से बना एक विशाल मीनार था l प्रत्येक रेडियो को चालु कर दिया गया था और हर एक से एक अलग स्टेशन बज रहा था, जिससे भ्रमित करनेवाला, अशोभनीय कोलाहलपूर्ण भाषण दिया जा रहा था l मेयिरलेस ने मूर्तिकला को बाबेल कहा l

शीर्षक उपयुक्त है l बाबेल के मूल मीनार पर, परमेश्वर ने मानव जाति की भाषाओं को भर्मित करके स्वर्ग को अपने कब्जे में करने के मानव जाति के प्रयास को विफल कर दिया (उत्पत्ति 11:1-9) l एक दूसरे के साथ संवाद करने में असफल, मानव जाति विभिन्न बोलियों की जातियों में विभाजित हो गयी (पद.10-26) l भाषा द्वारा विभाजित, हम उस समय से एक दूसरे को समझने में संघर्ष करते रहे हैं l

कहानी का दूसरा भाग है जब पवित्र आत्मा पिन्तेकुस्त के दिन पहले मसीहियों पर उतरा, तो उसने उस दिन यरूशलेम आने वालों की विभिन्न भाषाओं में परमेश्वर की स्तुति करने के लिए उन्हें सक्षम किया (प्रेरितों 2:1-12) l इस आश्चर्यकर्म के द्वारा, सभी ने एक ही सन्देश सुना, चाहे उनकी राष्ट्रीयता या भाषा कोई भी थी l बाबेल की गड़बड़ी उलट दी गयी थी l

जातीय और सांस्कृतिक विभाजन के संसार में, यह शुभ सन्देश है l यीशु के द्वारा, परमेश्वर प्रत्येक राष्ट्र, जनजाति और जीभ से एक नयी मानवता का गठन कर रहा है (प्रकाशितवाक्य 7:9) l जब मैं टेट मॉडर्न में खड़ा था, मैंने उन सभी रेडियो को अचानक एक नए संकेतक के लिए स्वर अनुकूल करने और कमरे में सभी के लिए एक ही गाना बजाने की कल्पना की : “फज़ल अजीब क्या खुश इलहान(Amazing Grace, how sweet the sound) l”