एक प्राकृतिक झरना है जो यरूशलेम शहर के पूर्व की ओर से निकलता है l प्राचीन काल में यह शहर की एकमात्र जलापूर्ति थी और दीवारों के बाहर स्थित थी l इस प्रकार यह यरूशलेम की सबसे बड़ी भेद्यता (vulnerability) का बिंदु था l खुले झरने का मतलब था कि शहर, अन्यथा अभेद्य, आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया जा सकता था यदि एक हमलावर झरने की दिशा बदल देता या उसे बाँध देता l

राजा हिजकिय्याह ने शहर में 1,750 फीट ठोस चट्टान के अन्दर से एक सुरंग बनवाकर, झरना को नगर के जलाशय में पहुंचाकर इस परेशानी को दूर किया (देखें 2 राजा 20:20; 2 इतिहास 32:2-4) l लेकिन इन सब में, हिजकिय्याह ने “उसके कर्ता को स्मरण नहीं किया, जिसने प्राचीनकाल से उसको ठहरा रखा था[उसकी योजना बनायी थी]” (यशायाह 22:11) l क्या योजना बनायी थी?

यरूशलेम शहर को परमेश्वर ने इस तरह “नियोजित” किया था कि उसकी पानी की आपूर्ति असुरक्षित थी l दीवार के बाहर झरना एक निरंतर ताकीद था कि शहर के निवासियों को अपने उद्धार के लिए पूरी तरह से परमेश्वर पर निर्भर होना चाहिए l

क्या यह हो सकता है कि हमारी कमियाँ हमारे भले के लिए मौजूद हों? निसंदेह, प्रेरित पौलुस ने कहा कि वह अपनी कमजोरियों में “घमण्ड” करेगा, क्योंकि इस कमजोरी के द्वारा ही यीशु की सुन्दरता और सामर्थ्य उस में दिखाई देती थी (2 कुरिन्थियों 12:9-10) l क्या तब हम प्रत्येक कमजोरी को एक उपहार के रूप में मान सकते हैं जो परमेश्वर को हमारी सामर्थ्य के रूप में प्रकट करता है?