जब डेनेसी लेवर्टोव केवल बारह वर्ष की थी, तो एक प्रसिद्ध कवि बनने से बहुत पहले उसने, महान कवि टी. एल. इलियट को कविता का एक पैकज भेजने करने की साहस की l फिर उसने उत्तर की प्रतीक्षा की l आश्चर्यजनक रूप से, इलियट ने हस्तलिखित प्रोत्साहन के दो पृष्ठ भेजे l अपने संग्रह द स्ट्रीम एंड द सफायर(The Stream and the Sapphire) के प्रस्तावना में, उन्होंने बताया कि किस तरह कवितायेँ अज्ञेयवाद(agnosticism) से मसीही विशवास की ओर [उसकी] गति ढूँढ लेती हैं l फिर यह पहचानना प्रभावशाली है, कि बाद की कविताओं में से एक (“अननसिएशन Annunciation”) परमेश्वर के प्रति मरियम के समर्पण का बयान करती है l मरियम को अभिभूत करने के लिए पवित्र आत्मा के इनकार और मरियम का स्वतंत्र रूप से मसीह बालक प्राप्त करने की उसकी इच्छा को देखते हुए, ये दो शब्द कविता के केंद्र में चमकते हैं : “परमेश्वर इंतज़ार किया l”

मरियम की कहानी में, लेवर्टोव ने स्वयं को पहचान लिया l परमेश्वर इंतज़ार करते हुए उसे प्यार करने के लिए उत्सुक था l वह उसे किसी भी बात के लिए मजबूर नहीं करने वाला था l उसने इंतज़ार की l यशायाह ने इसी वास्तविकता का वर्णन किया, कि कैसे परमेश्वर तैयार था, प्रत्याशा के साथ उत्सुक था, इस्राएल पर कोमल प्रेम बरसाने के लिए l “यहोवा इसलिए विलम्ब करता है कि तुम पर अनुग्रह करे” (30:18) l वह अपने लोगों पर दया बरसाने को तैयार था, और फिर भी परमेश्वर ने उनके लिए इंतज़ार किया कि उसकी पेशकश को वे स्वेच्छा से स्वीकार करें (पद.9) l 

यह आश्चर्य की बात है कि हमारा सृष्टिकर्ता, संसार का उद्धारकर्ता, इंतज़ार करने का चुनाव करता है कि हम उसका स्वागत करें l जो परमेश्वर हमारे ऊपर इतनी आसानी से हावी हो सकता है, वह विनम्र धीरज धरता है l पवित्र जन हमारा इंतज़ार करता है l