रहस्य
कभी-कभी मुझे संदेह होता है कि मेरी बिल्ली टॉम FOMO (fear of missing out) लापता होने के डर की बुरी दशा से ग्रस्त है l जब मैं किराने का सामान लेकर घर आती हूँ, तो टॉम सामग्री का निरीक्षण करने के लिए दौड़ता है l जब मैं सब्जियां काट रही होती हूँ, तो वह अपने पिछले पैरों के बल खड़ा होकर सामग्री को ध्यान से देखते हुए मुझसे उसे साझा करने के लिए बिनती करता है l लेकिन जब मैं वास्तव में टॉम को उसकी पसंद की वस्तु पकड़ा देती हूँ, वह उसमें रूचि छोड़कर, ऊब की अप्रसन्नता के साथ चल देता है l
लेकिन मेरे लिए अपने छोटे दोस्त पर कठोर होना पाखण्ड होगा l वह अधिक के लिए मेरी खुद की अतृप्त भूख को दर्शाता है, मेरी धारणा कि “अभी” कभी नहीं पर्याप्त है l
पौलुस के अनुसार, संतोष स्वाभाविक नहीं है – यह सीखा जाता है (फिलिप्पियों 4:11) l अपने दम पर, हम अपने विचार से उसे पूरी तरह से आगे बढाते हैं, जिससे हम संतुष्ट होने का विचार रखते हैं, अगली बात पर बढ़ते हुए हम जान जाते हैं कि यह भी संतुष्ट नहीं करेगा l अन्य समयों पर, हमारा असंतोष चिंतावश किसी भी और सभी संदिग्ध खतरों से खुद को बचाने का रूप लेता है l
व्यंगात्मक रूप से, कभी-कभी यह अनुभव से आता है कि लुढ़ककर असली ख़ुशी में जाने के लिए हम सबसे अधिक किससे डरते थे l सबसे बुरा अनुभव करने के बाद जो जीवन पेश करता है, पौलुस पहली बार सच्चे संतोष के “रहस्य” (पद.11-12) की गवाही दे सकता था – रहस्मय वास्तविकता कि जब हम पूर्णता की लालसा को परमेश्वर की ओर उठाते हैं, तो हम न समझाया जा सकने योग्य शांति का अनुभव करते हैं (पद.6-7), जो मसीह की सामर्थ्य, सुन्दरता और अनुग्रह की अथाह गहराई में ले जाता है l
दृढ़ता के लिए विश्वास
अर्नेस्ट शेकलटन (1874-1922) ने 1914 में अंटार्टिका को पार करने के लिए एक असफल अभियान का नेतृत्व किया l जब उनका जहाज, जिसे अंत में एंड्यूरेन्स (Endurance) अर्थात् धीरज नाम दिया गया था, वेडेल सागर में भारी बर्फ में फंस गया, यह जीवित रहने के लिए धीरज की एक दौड़ बन गया l दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ संवाद करने का कोई साधन नहीं होने के कारण, शेकलटन और उनके दल ने निकटतम तट – एलेफेंट द्वीप - तक यात्रा करने के लिए जीवनरक्षक नौकाओं का उपयोग किया l जबकि अधिकांश चालक दल द्वीप पर पीछे रह गए, शेकलटन और चालाक दल के पांच लोगों ने द्वीप पर छूटे हुए लोगों के लिए मदद पाने के लिए दो सप्ताह तक दक्षिण जॉर्जिया की ओर 800 मील की समुद्री यात्रा की l “असफल” अभियान इतिहास की पुस्तकों में एक विजयी प्रविष्टि बन गया जब शेकलटन के सभी लोग अपने साहस और धीरज की बदौलत बच गए l
प्रेरित पौलुस जानता था कि इसका क्या अर्थ है l रोम में एक तूफानी समुद्री यात्रा के दौरान यीशु में अपने विश्वास के लिए जांच का सामना करने के लिए, पौलुस ने परमेश्वर के एक दूत से जाना कि जहाज डूब जाएगा l लिकिन प्रेरित ने जहाज पर सभी लोगों को उत्साहित किया, परमेश्वर की प्रतिज्ञा के लिए धन्यवाद कि जहाज की हानि के बावजूद, सभी लोग बच जाएंगे (प्रेरितों 27:23-24) l
जब आपदा आती है, तो हम चाहते हैं कि परमेश्वर तुरंत सब कुछ बेहतर के दे l लेकिन परमेश्वर हमें सहने और बढ़ने का विश्वास देता है l जैसा कि पौलुस ने रोमियों को लिखा, “क्लेश से धीरज उत्पन्न [होता है]” (रोमियों 5:3) l यह जानते हुए कि, हम कठिन समय में परमेश्वर पर भरोसा रखने के लिए एक-दूसरे को उत्साहित कर सकते हैं l
अप्रत्याशित परिवर्तन
जनवरी 1943 में, अमेरिका के दक्षिणी डकोटा में गर्म हवाएं चलीं, जिसे तापमान शीघ्रता से 4० से 45० F (-20० से 7० C) हो गया l मौसम में कठोर बदलाव – 49 डिग्री का उतार-चढ़ाव सिर्फ दो मिनट में हो गया l चौबीस घंटे की अवधि में यू.एस.ए. में दर्ज किया गया व्यापक तापमान परिवर्तन अविश्वसनीय 103 डिग्री है! 15 जनवरी, 1972 को लोमा, मोन्टेना, ने तापमान -54० से 49० F (-48० से 9० C) तक देखा l
हालाँकि, अचानक परिवर्तन, केवल एक मौसम की घटना नहीं है l यह कभी-कभी जीवन की प्रकृति है l याकूब हमें याद दिलाता है, “तुम जो यह कहते हो, ‘आज या कल हम किसी और नगर में जाकर वहाँ एक वर्ष बिताएंगे, और व्यापार करके लाभ कमाएंगे l’ और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा” (4:13-14) l एक अप्रत्याशित हानि l एक आश्चर्जनक जांच l एक वित्तीय उलट l अचानक बदलाव l
जीवन कई अप्रत्याशित अवस्थाओं के साथ एक यात्रा है l निश्चित रूप से इसी कारण याकूब ने हमें अभिमानी योजनाओं” (पद.16) से मुड़ने की चेतावनी दी है, जो सर्वशक्तिमान को ध्यान में नहीं रखते हैं l जैसा कि उसने हमें सलाह दी, “इसके विपरीत तुम्हें यह कहना चाहिए, ‘यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे, और यह या वह काम भी करेंगे ‘” (पद.15) l हमारे जीवनों की घटनाएं अनिश्चित हो सकती हैं, लेकिन एक बात निश्चित है : जीवन के सभी अप्रत्याशित क्षणों में, हमारे परमेश्वर हमें कभी नहीं छोड़ेंगे l जीवन भर वही हमारा अपरिवर्तनशील है l
ख़ुशी के विचार
व्हाट वी कीप (What We Keep), विभिन्न लोगों के साथ साक्षात्कार का एक संग्रह में, साक्षात्कारकर्ता उनके साथ महत्त्व और ख़ुशी के केवल एक विषय के बारे में बात करता है जो वे पकड़ते हैं l कुछ जिससे वे कभी अलग नहीं हो सकते थे l
इसने मुझे उन चीजों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया जो मेरे लिए सबसे अधिक मायने रखती हैं और मुझे ख़ुशी देती हैं l एक मेरी माँ की लिखावट में एक साधारण चालीस वर्ष पुराना जन्मदिन कार्ड है l एक और मेरी दादी के गहनों का डिब्बा है l अन्य लोग कीमती यादों को महत्त्व दे सकते हैं – एक प्रशंसा, जिसने उन्हें प्रोसाहित किया, एक पोते/नाती की खिलखिलाहट, या एक विशेष अंतर्दृष्टि जिसे उन्होंने पवित्रशास्त्र से बटोरा हो l
भले ही, जो हम अक्सर अपने दिलों में दबा कर रखते हैं, ऐसी चीजें है जो हमें बहुत दुखी करती हैं : चिंता – छिपी हुयी, लेकिन आसानी से फिर मिल जा सकती है l क्रोध – सतह के नीचे, लेकिन आक्रमण करने के लिए तत्पर l आक्रोश – चुपचाप हमारे विचारो के भीतरी भाग को खाता जाता है l
प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पी के चर्च को लिखे एक पत्र में “सोचने” के लिए और अधिक सकारात्मक तरीका बताया l उसने चर्च के लोगों को हमेशा आनंदित रहने, कोमल होने और सब कुछ प्रार्थना में परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित करने के लिए प्रोत्साहित किया (फिलिप्पियों 4:4-9) l
क्या सोचना चाहिए के विषय पौलुस के प्रेरक शब्द हमें यह देखने में मदद करता है कि अँधेरे विचारों को बाहर करना संभव है और परमेश्वर की शांति को हमारे हृदय और हमारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखने की अनुमति देता है (पद.7) l यह तब होता है जब हमारे मन को भरने वाले विचार सच्चे, श्रेष्ठ, सही, पवित्र, खूबसूरत, उत्कृष्ट, और प्रशंसनीय होते हैं जिससे हम अपने दिलों में उसकी शांति बनाए रखते हैं (पद.8) l