
सबको सहानुभूति चाहिए
जब जीवन यीशु में नया विश्वासी था और कॉलेज से निकला ही था, उसने एक तेल की एक बड़ी कंपनी में कार्य किया l सेल्समैन की भूमिका में, उसने यात्राएं की; और अपनी यात्रा में उसने लोगों की कहानियाँ सुनी – उनमें से कई मार्मिक थीं l उसने महसूस किया कि ग्राहकों की सबसे बड़ी ज़रूरत तेल नहीं थी, बल्कि सहानुभूति l उनको परमेश्वर की ज़रूरत थी l इसने जीवन को सेमिनरी जाकर परमेश्वर के हृदय के विषय जानने और आखिरकार पास्टर बनने के लिए प्रेरित किया l
जीवन की सहानुभूति का उद्गम यीशु में था l मत्ती 9:27-33 में हमें दो दृष्टिहीनों और एक दुष्टात्माग्रस्त मनुष्य की आश्चर्यजनक चंगाई में मसीह की करुणा की झलक मिलती है l “वह अपनी समस्त सांसारिक सेवा के दौरान, “सब नगरों और गाँवों में” (पद.35) सुसमाचार प्रचार करता रहा और चंगाई देता रहा l क्यों? “जब उसने भीड़ को देखा तो उसको लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे” (पद.36) l
आज का संसार अभी भी परेशान और दुखित लोगों से भरा हुआ है जिन्हें एक उद्धारकर्ता की कोमल देखभाल की ज़रूरत है l अपनी भेड़ की अगुवाई, सुरक्षा, और देखभाल करनेवाले चरवाहे की तरह, यीशु अपने निकट आनेवालों पर अपनी सहानुभूति दिखाता है (11:28) l कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम जीवन में कहाँ हैं और हम क्या अनुभव कर रहे हैं, हम उसमें कोमलता और देखभाल से उमड़ता हुआ हृदय पाते हैं l और जब हम परमेश्वर की प्रेममयी करुणा के लाभार्थी बन गए हैं, हम इसे दूसरों तक पहुँचाए बिना रह नहीं सकते हैं l

प्रशंसा की जीवन शैली
वालस स्टेग्नर की माँ की मृत्यु पचास वर्ष की उम्र में हुयी l जब वालस अस्सी वर्ष का हुआ, उसने अंततः उन्हें एक पत्र लिखा – “पत्र, बहुत देर बाद(Letter, Much Too Late)” – जिसमें उसने एक महिला के गुणों की प्रशंसा की, जो बड़ी हुयी, जिसने विवाह किया, और कठिन दिनों की कठोरता में दो बेटों की परवरिश की l वह उस प्रकार की पत्नी और माँ थी जो उत्साहित करनेवाली थी, यहाँ तक कि उन लोगों के लिए भी जो कम चाहने योग्य थे l उसने अपनी माँ की आवाज़ की ताकत से उन्हें याद किया l उसने लिखा : “तुमने कभी गाने का अवसर नहीं खोया l” जब तक वह जीवित रही, उसकी माँ ने बड़ी और छोटी आशीषों के लिए धन्यवाद देते हुए गाया l
भजनकार ने भी गाने का अवसर जाने नहीं दिया l उसने तब गाया जब दिन अच्छे थे, और जब वे इतने अच्छे नहीं थे l गीत विवशता अथवा दबाव में नहीं थे, परन्तु “आकाश और पृथ्वी . . . [के] कर्ता” (146:6) के प्रति स्वाभाविक प्रतिउत्तर था और किस प्रकार वह “भूखों को रोटी देता है” (पद.7) और “अंधों को आँखें देता है” (पद.8) और “अनाथों और विधवा .को . . . संभालता है” (पद.9) l यह वास्तव में गायन की जीवन शैली है, जो समय के साथ-साथ ताकत पैदा करता है जब दैनिक भरोसा “याकूब के परमेश्वर” में रखा जाता है जो “सदा के लिए” विश्वासयोग्य रहता है (पद.5-6) l
हमारी आवाजों की गुणवत्ता मुद्दा नहीं है, परन्तु परमेश्वर की भलाई की निरंतरता के लिए हमारा प्रत्युत्तर – प्रशंसा की जीवन शैली l जैसा कि पुराना गीत कहता है : मेरे दिल के भीतर एक मधुर गीत है l”

एकमात्र राजा
जब पांच वर्षीय एलिजा अपने पास्टर से यीशु के स्वर्ग छोड़ने और पृथ्वी पर आने के विषय सुन रहा था, उसने गहरी साँस ली जब पास्टर ने प्रार्थना में उसे हमारे पापों के लिए मारे जाने के लिए धन्यवाद दिया l “अरे! वह मर गया?” लड़का चकित होकर बोला l
पृथ्वी पर मसीह के जीवन के आरम्भ से ही, ऐसे लोग थे जो उसे मृत चाहते थे l राजा हेरोदेस के राज्य में बुद्धिमान लोग यरूशलेम आकर पूछने लगे, “यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है, कहाँ है? क्योकि हमने पूर्व में उसका तारा देखा है और उसको प्रणाम करने आए हैं” (मत्ती 2:2) l राजा यह सुनकर भयभीत हुआ कि एक दिन वह यीशु के हाथों अपना पद खो देगा l इसलिए उसने बैतलहम के आसपास के सभी लड़कों को जो दो साल और उससे छोटे थे को मारने के लिए सैनिक भेजे l लेकिन परमेश्वर ने अपने पुत्र की रक्षा की और एक स्वर्गदूत भेजकर उसके माता-पिता को वह क्षेत्र छोड़ने के लिए चेतावनी दी l वे वहाँ से चले गए, और वह बचा लिया गया (पद.13-18) l
जब यीशु ने अपनी सेवा पूरी की, उसे संसार के पापों के लिए क्रूस पर चढ़ाया गया l उसके क्रूस पर लगाए गए संकेत पर लिखा था, “यह यहूदियों का राजा यीशु है” यद्यपि मजाक था l फिर भी तीन दिनों के बाद वह कब्र से जी उठकर विजयी हुआ l स्वर्गारोहण के बाद, वह राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु होकर सिंहासन पर बैठ गया (फिलिप्पियों 2:8-11) l
हमारा राजा – तुम्हारे, मेरे, और एलिजा के पापों के लिए मरा l उसे अपने हृदयों में राज्य करने दें l

यहाँ खतरा हो सकता है?
किंवदंती में है कि मध्ययुगीन नक्शों के किनारों पर, दुनिया के मानचित्रों के रचनाकार के अनुसार ज्ञात सीमाएं “यहाँ खतरे(ड्रैगन/दैत्य) हो सकते हैं? – शब्दों से चिन्हित होते थे –अक्सर भयानक जानवरों के ज्वलंत चित्रण के साथ जिनके विषय मान्यता थी कि संभवतः वे वहाँ दुबके हुए हैं l
प्राचीन मानचित्रकार वास्तव में इन शब्दों को लिखें है इसके अधिक प्रमाण नहीं हैं, परन्तु मैं विचार करना चाहता हूँ कि वे लिखे होंगे l हो सकता है क्योंकि “यहाँ खतरे(ड्रैगन/दैत्य) हो सकते हैं” कुछ ऐसा महसूस होता है जैसे मैंने उस समय लिखा हो – एक गंभीर चेतावनी जो कि मुझे नहीं पता कि अगर मैं बड़े अज्ञात में पहुँच गया तो क्या होगा, यह संभवतः अच्छा नहीं होगा!
लेकिन आत्म-रक्षा और जोखिम-निवारण की मेरी पसंदीदा नीति के साथ एक विकराल समस्या है : यह उस साहस के विपरीत है जिसके लिए मुझे यीशु में विश्वासी के रूप में बुलाया गया है (2 तीमुथियुस 1:7) l
कोई यह भी कह सकता है कि वास्तव में खतरनाक क्या है के विषय मैं गुमराह हूँ l जैसा कि पौलुस ने समझाया, कि एक टूटे संसार में बहादुरी से मसीह का अनुसरण पीड़ादायक हो सकता है (पद.8) l परन्तु जैसा कि हमें मृत्यु से जीवन में लाया गया है और आत्मा का जीवन सौंपा गया है जो हमारे द्वारा बहता है (पद.9-10, 14), तो हम कैसे नहीं कर सकते हैं?
जब परमेश्वर हमें एक उपहार देता है डर से पीछे हटने की यह लड़खड़ाहट, वास्तविक त्रासदी होगी –किसी भी चीज का जिसका सामना हम करेंगे से कही अधिक बदतर होगी जब हम मसीह की अगुवाई में अनधिकृत क्षेत्र में चलते हैं (पद.6-8, 12) l हमारे दिल और हमारे भविष्य से उस पर भरोसा किया जा सकता है (पद.12) l
