बहार घूमते समय, अक्सर मेरा सामना एक व्यक्ति से हुआ जो रात में अपने चार कुत्ते घुमाता था l तीन कुत्ते इधर-उधर भागते थे, परन्तु एक अपने मालिक के निकट रहता था, क्योंकि वह अकेला रहा था l अंत में रुककर उस कुत्ते के इस अजीब व्यवहार के विषय पूछने पर मालिक ने बताया कि वह एक बचाव कुत्ता(rescue dog) था जिसने अपना अधिकाँश जीवन एक पिंजड़े(cage) में बिताया था l कुत्ता चक्कर में चलना जारी रखा, मानो वह एक सीमित बक्से में बंद था l 

पवित्रशास्त्र प्रगट करता है कि जब तक परमेश्वर हमें बचा नहीं लेता, तब तक हम फंसे हुए और आशाहीन हैं l भजनकार ने शत्रु द्वारा पीड़ित होने के विषय कहा, “पाताल की रस्सियों” में फंसे हुए चारोंओर “मृत्यु के [फंदों]” में लिपटे हुए (भजन 18:4-5) l संकट में उसने परमेश्वर की दोहाई देते हुए सहायता के लिए चिल्लाया (पद.6) l और गरजती सामर्थ्य के साथ, उसने उसे “थाम लिया” (पद.16) l 

परमेश्वर हमारे लिए भी वही कर सकता है l वह जंजीरों को तोड़ सकता है और हमें हमारे सिमित पिंजरों(cages) से मुक्त कर सकता है l वह हमें स्वतंत्र कर सकता है और हमें “चौड़े स्थान में” पहुँचा सकता है (पद.19) l यह कितना दुखद है, जब हम छोटे घेरे में दौड़ते रहते हैं, जैसे कि हम अभी भी अपनी पुराने जेलों में कैद हैं l उसकी ताकत में, हम अब भय, शर्म या अत्याचार से बंधे नहीं रह सकते l परमेश्वर ने हमें मृत्यु के उन पिंजरों से बचाया है l हम स्वतंत्रता से दौड़ सकते हैं l